इस लेख में हम गुरुत्वाकर्षण से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करेंगे जो निम्न है |
हम अपने जीवन में बहुत सी घटनाओ का अनुभव करते है |
यदि कोई भी वस्तु ऊपर ले जाकर स्वतंत्रता पूर्वक निचे छोड़ दी जाती है तो वह वस्तु पृथ्वी की ओर गिरने लगती है |किसी पेड़ के फल डालियो से अलग होकर पृथ्वी पर गिरते है |
संसार में किसी भी वस्तु को ऊपर की ओर फेकने पर निचे की ओर पृथ्वी पर ही गिरती है | ऐसा क्यों ?इस तथ्य की जानकारी वैज्ञानिक न्यूटन ने बताया था
जब उन्होंने एक सेब के पेड़ के निचे बैठे थे तो पेड़ से एक सेब अलग होकर पृथ्वी पर आ गिरा तब उनके मन में विचार आया की पृथ्वी पर आकर्षण बल है जो किसी भी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है
वास्तव में आकाशीय पिंडो जैसे – ग्रह ,चन्द्रमा आदि की गतियो का अध्यनन करके बताया कि ब्रह्माण्ड में सभी वस्तु एक -दुसरे को अपनी ओर आकर्षित करती है |
गुरुत्वाकर्षण बल
गुरुत्वाकर्षण बल
दो द्रव्यात्मक वस्तु एक दुसरे को जिस बल से अपनी ओर आकर्षित करती है ,us बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं | दो वस्तुओ के बीच लगने वाले इस आकर्षण के गुण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) कहते है |
न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम
न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम
न्यूटन ने किन्ही दो पिंडो के बीच गुरुत्वाकर्षण बल सम्बंधित नियम प्रस्तुत किये जिसे न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी नियम कहते है |
इस नियम के अनुसार
” यदि दो द्रव्यात्मक वस्तु एक दुसरे से निश्चित दुरी पर स्थित होते है तो उनके बीच एक बल लगता है जो दोनों द्रव्यमानो के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा दोनों द्रव्यमानो के बीच के दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है |”
जब दो द्रव्यात्मक वस्तु m1 तथा m2 हो तथा उनके बीच की दुरी r हो तो लगने वाला बल निम्न कारको पर निर्भर करता है |
F समानुपाती m1 .m2
Fसमानुपाती 1\r2
अब ,F समानुपाती m1 m2\ r2
F=Gm1 .m2 \r2
जहाँ G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी कणों के लिए सभी स्थानों पर तथा सभी दिशाओ में एक सामान होता है |
G का मान 6.67 *10-11 न्यूटन .मीटर 2 .किग्रा -2 होता है |
गुरुत्वीय क्षेत्र
गुरुत्वीय क्षेत्र
हम जानते है की द्रव्यात्मक वस्तुओ के बीच लगने वाला बल दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है |अतः जैसे – जैसे हम पृथ्वी तल के ऊपर जाते है दुरी बढती जाती है अतः बल घटती जाती है अतः पृथ्वी तथा पृथ्वी के चारो ओर के वे क्षेत्र जिसमे किसी वस्तु को रखने पर वह आकर्षण बल का अनुभव करता हो गुरुत्वीय क्षेत्र कहलाता है |
गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता
इकाई द्रव्यमान के वस्तु पर गुरुत्वीय क्षेत्र के भीतर लगने वाले गुरुत्वीय बल को us बिंदु पर गुरुत्वीय क्षेत्र तीव्रता कहते है |
यदि m द्रव्यमान के वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल F हो तो इकाई द्रव्यमान पर लगने वाला गुरुत्वी बल =F\m अतः गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता I=f\m
इसका मात्रक न्यूटन \किग्रा होता है |
गुरुत्व
गुरुत्व
पृथ्वी द्वारा किसी पिंड पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व कहते है |
गुरुत्वीय त्वरण
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु पर एक बल आरोपित करती है अतः बल के इस प्रभाव से वस्तु में त्वरण उत्पन्न हो जाता है चूँकि यह त्वरण पृथ्वी के बल लगाने के कारण होता है अतः इसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं इसे g से निरुपित करते है |
यदि किसी पिंड p का द्रव्यमान m पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा पृथ्वी के केंद्र O से पिंड की दुरी d हो तो पिंड पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल F=G.m.Me\d2
यदि इस बल से पिंड में उत्पन्न त्वरण g हो तो ,त्वरण =बल\पिंड का द्रव्यमान
या g = F\m
अथवा g =G.Me\d2
अब यदि पृथ्वी तल से पिंड की ऊँचाई h हो तथा पृथ्वी की औसत त्रिज्या Re हो तो r =Re +h
अब : g =G.Me (Re +h )2
गुरुत्वीय त्वरण ‘g ‘तथा सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक ‘G’ में अन्तर :
गुरुत्वीय त्वरण
गुरुत्वीय त्वरण
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु पर एक बल आरोपित करती है अतः बल के इस प्रभाव से वस्तु में त्वरण उत्पन्न हो जाता है चूँकि यह त्वरण पृथ्वी के बल लगाने के कारण होता है अतः इसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं इसे g से निरुपित करते है |
⦁ g का SI मात्रक मीटर.सेकंड-2 होता है |
⦁ g का मान सभी स्थानों पर अलग -अलग होता है |
⦁ g एक सदिश राशि है |
गुरुत्वाकर्षण नियतांक ‘G’
गुरुत्वाकर्षण नियतांक ‘G’
⦁ इकाई दुरी पर स्थित इकाई द्रव्यमान के दो पिंडो के बीच कार्य करने वाले गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते है | इसे G से व्यक्त करते है |
G का SI मात्रक न्यूटन .किग्रा-2 होता है|
G का मान सभी स्थानों पर एक सामान होता है |