गति से क्या समझते है |

By   June 27, 2022

दैनिक जीवन में हम किसी भी वस्तु को एक स्थान से दुसरे स्थान तक जाते हुए या आते हुए देखते है विज्ञान के क्षेत्र में इसी चीज को गति कहा गया है |
उदाहरण; पैदल चलता हुआ मनुष्य, सड़क पर चलाते हुए वाहन, उड़ते हुए वायुयान, आकाश में गति करते हुए तारे , ग्रह,तारे ,चन्द्रमा आदि |
गति करती हुई वस्तु किसी समय एक स्थान पर रहती है तथा उसके अगले समय किसी अगले स्थान पर चली जाती है |

ऐसी वस्तुए जिनमे समय बदलने के साथ ,वस्तु की स्थिति बदल जाती है | |गति की अवस्था में कही जाती है |

इसके विपरीत जिस वस्तु की स्थिति समय बदलने के साथ बदलता हुआ प्रतीत नहीं होता है उसे स्थिर अथवा विराम की अवस्था में कही जाती है

क्या जो वस्तु हमे स्थिर अथवा गतिमान प्रतीत होता है वह वास्तव में उसी अवस्था में होता है ?

यदि हम चलते हुए ट्रेन में बैठे हो तो हमे ट्रेन के बाहर की वस्तुए ,पेड़ -पौधे ,घर स्थिर वाहन आदि वस्तुए पीछे की ओर गति करते हुई दिखाई देती है तथा हम ट्रेन को तथा स्वंय अपनों को स्थिर देखते है |परन्तु वास्तविकता यह है की ट्रेन के बाहर के पेड़-पौधे घर स्थिर वाहन आदि अपने स्थान पर ही स्थिर रहते है तथा हम ट्रेन के साथ गति करते कर रहे होते है |

[साधारण बोल चल की भाषा में कहते है की अमुख जगह आ गया या चला गया ,जबकि जगह कही आता जाता नहीं है वास्तव में हम जगह पर पहुचते और आगे चले जाते है |]
अधिकांशतः जब हम तेज रफ़्तार वाले वाहन जैसे ट्रेन में बैठे होते है तो बाहर की वस्तु ,स्टेशन गतिमान प्रतीत होती है तथा ट्रेन स्थिर | अब यदि हम स्टेशन पर खड़े होते है तो हमे स्टेशन स्थिर और ट्रेन गतिमान प्रतीत होता है |इसको देखने से यह अभिप्राय होता है की वस्तु का स्थिर और गतिमान होना वस्तु के स्थिति पर निर्भर नही करता |

भौतिक राशियाँ(Physical quantities) :

भौतिक जीवन में हम बहुत सी राशियों का अध्ययन करते है अतः वे राशिया जिन्हें मापा या तौला जा सकता है भौतिक राशियाँ कहलाता है जैसे ; द्रव्यमान ताप,, दुरी ,चाल , समय , वेग त्वरण आदि

उदाहरण को देखने से स्पष्ट हो रहा है की भौतिक राशियाँ दो प्रकार की होती है|

अदिश राशियाँ (scalar quantities)-

वे राशियाँ जिनको व्यक्त करने के लिए केवल केवल परिमाण (magnitude) की आवश्कता होती है दिशा की नहीं अदिश राशियाँ कहलाता है |

जैसे – दुरी , दाब , कार्य , उर्जा , विधुत धारा , विभव ,चाल आदि अदिश राशियाँ है |

सदिश राशियाँ (vector quantities)-वे राशियाँ जिनको व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ -2 दिशा की भी आवश्कता होती है सदिश राशियाँ कहलाती है |

जैसे – वेग ,त्वरण , विस्थापन , बल आदि सदिश राशियाँ है |

दुरी तथा विस्थापन (distance and Disppacement)

दुरी (distance): किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय किये गये मार्ग की लम्बाई को वस्तु द्वारा तय की गयी दुरी कहते है | यह एक अदिश राशि है यह सदैव धनात्मक (+ve) होती है |

विस्थापन (displacement): एक निश्चित दिशा में दो बिन्दुओ के बीच -की लम्बत दुरी को विस्थापन कहते है | यह एक सदिश राशि है क्योकि इसमें मापी गयी लम्बाई का परिमाण तथा दिशा दोनों होती है |

दुरी तथा विस्थापन में अंतर

दुरी *

  1. किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय किये गये मार्ग की लम्बाई को वस्तु द्वारा तय किये गये दुरी कहते है |
  2. इसमें केवल राशि के परिमाण को व्यक्त करते है |
  3. यह अदिश राशि है |
  4. दुरी सदैव धनात्मक (+ve) होती है
  5. यह वस्तु द्वारा तय किये गये मार्ग पर निर्भर करता
  6. विस्थापन *

क निश्चित दिशा में दो बिन्दुओ के बीच के न्यूनतम दुरी को विस्थापन कहते है |

2) इसमें राशि के परिमाण तथा दिशा दोनों को व्यक्त करते है |
(3) यह सदिश राशि है |
(4) विस्थापन धनात्मक ऋणात्मकअथवा शून्य हो सकता है |
(4) यह वस्तु द्वारा तय किये गये मार्ग पर निर्भर नहीं करता है |

चाल तथा वेग *

चाल : (Speed) इकाई समय में किसी गतिशील वस्तु द्वारा चली गई दुरी को वस्तु की चाल कहते है |यदि कोई वस्तु dt समय अन्तराल में ds दुरी तय करे तो दुरी में परिवर्तन के समय दर, अथवा

चाल= दुरी का परिवर्तन /समय का अन्तराल

अथवा v=ds/dt
चाल एक अदिश राशि है
वेग = गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय में किये गये विस्थापन को वस्तु का वेग कहते है
वेग सदिश राशि है |

अतः
वेग =विस्थापन/समय

चाल तथा वेग में अंतर

चाल *

(1) इकाई समय में किसी गतिशील वस्तु द्वारा चली गई दुरी को वस्तु की चाल कहते है |
(2) यह अदिश राशि है इसमें केवल परिमाण होता है दिशा नहीं |
(3) चाल धनात्मक या शून्य हो सकता है |

वेग *

(1) गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय में किये गये विस्थापन को वस्तु का वेग कहते है|
(2) यह सदिश राशि है इसमें परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है |
(3) वेग धनात्मक ऋणात्मक अथवा शून्य हो सकता है |

गति के प्रकार *(types of motion)

(1) ऋजु रेखीय गति (Rectilinear motion )-जब कोई वस्तु किसी ऋजु -रेखीय मार्ग पर एक दिशा में गति करती हैतो उस प्रकार के गति को ऋजु-रेखीय गति कहते है |

(2) वृतीय गति (Circular motion )- वृतीय गति समतल में गति का उदाहरण है वह गति जिसमे कोई गतिशील वस्तु इस प्रकार से गति करे कि एक निश्चित बिंदु से दुरी सदैव स्थिर रहे इस प्रकार के गति को वृतीय गति कहते है |

(3) दोलन गति (Oscillatory motion )-वह गति जिसमे गतिशील वस्तु एक निश्चित बिंदु के दोनों ओर गति करता है |दोलानी गति कहलाता है |(

जैसे -पेंडुलम घडी का पेंडुलम दोलानी गति करता है |

त्वरण :(Acceleration)

प्राकृत में लगभग सभी वस्तुए त्वरित गति से गतिशील होती है
गतिशील वस्तु के वेग में प्रति सेकंड होने वाले परिवर्तन को त्वरण कहते है |

अतः त्वरण=वेग परिवर्तन /समयअन्तराल

इसका मात्रक मीटर /सेकंड 2 होता है |

त्वरण के प्रकार *

त्वरण दो प्रकार का होता है

(1) एक समान त्वरण :यदि गतिशील वस्तु के वेग में एक निश्चित समय में निश्चित परिवर्तन हो तो इस प्रकार के त्वरण को एक सामान त्वरण कहते है |
(2) असमान त्वरण : यदि गतिशील वस्तु के वेग में एक नस्चित समय में भिन्न -2 परिवर्तन हो तो इस प्रकार के त्वरण को असमान त्वरण कहते है |

उदाहरण 1 – यदि किसी गतिशील वस्तु का वेग किसी क्षण पर 4 मी /सेकंड हो तथा उसके 7 सेकंड बाद , उसी दिशा में 18 मी /सेकंड हो जाता है वस्तु का त्वरण ज्ञात कीजिये |

हल : वस्तु के वेग में परिवर्तन (del v)=अंतिम वेग

प्रारंभिक वेग
=(18 -4)मी /सेकंड
=समय अन्तराल =7 सेकंड
त्वरण a= del v/del t
=(18 – 4)मी /सेकंड /7=14 /7 =2 मी /सेकंड 2