पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति

By   July 27, 2022

पदार्थ की संरचना के बारे में जानने के लिए सबसे पहले परमाणु और अणु के बारे में जानना आवश्यक होगा |तथा इस पोस्ट में हम पदार्थ की संरचना से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करेंगे जो निम्न है |
हम अपने चारो ओर विभिन्न पदार्थो को देखते हैं जिनकी रचना के बारे में जानने की बहुत इच्छा होती है अनेक वैज्ञानिको एवं दार्शनिको ने पदार्थ की संरचना के बारे में जानने के लिए अपने -अपने विचार व्यक्त किये हैं सन 1808 ई० में ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने भी पदार्थ (द्रव्य ) की संरचना के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये जिसे डाल्टन का परमाणुवाद कहते हैं |

डाल्टन का परमाणु सिध्दान्त (Dalton’s Atomic Theory)

डाल्टन का परमाणु सिध्दान्त (Dalton’s Atomic Theory)

सन 1808 ई० में ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने एक ‘परमाणु परिकल्पना ‘ प्रस्तुत की जो प्रयोगों पर आधरित है
डाल्टन ने अपने प्रयोगों के दौरान इस बात पर निष्कर्ष किये की पदार्थ अनेक छोटे -छोटे कणों से मिलकर बना है जिन्हें परमाणु कहते हैं परमाणु स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता परन्तु रासानिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है डाल्टन ने परमाणु परिकल्पना के आधार पर पदार्थ (द्रव्य )की संरचना ,रासानिक संयोग के नियम ,तथा भौतिक व रासानिक परिवर्तनों की विवेचना की | डाल्टन की यह परिकल्पना एक वैज्ञानिक सिध्दान्त के रूप में मान्य हुई, जिसे डाल्टन का परमाणु सिध्दान्त (Daltan ‘s Atomic Theory)कहते हैं

भौतिक व रासानिक परिवर्तन

भौतिक व रासायनिक परिवर्तन

वह परिवर्तन जिसमे कोई नया पदार्थ नहीं बनता है भौतिक परिवर्तन कहलाता है भौतिक परिवर्तन में भौतिक अवस्था ,पदार्थ के आकार ,आकृति इत्यादि में परिवर्तन होता है
जैसे ; बर्फ का जमना ,वाष्पन आदि |

रासायनिक परिवर्तन ;

वह पदार्थ जिसमे कोई नया पदार्थ बनता है रासायनिक परिवर्तन कहलाता है |
जैसे ; दूध से दही का बनना , किसी पदार्थ को जलाना , जंग लगना आदि |
Note: भौतिक परिवर्तन में पुनः मूल पदार्थो की प्राप्ति की जाती है परन्तु रासायनिक परिवर्तन में मूल पदार्थो की प्राप्ति नहीं की जाती |

रासायनिक संयोग के नियम

द्रव्य के अभिनाशिता का नियम

द्रव्य के अभिनाशिता का नियम

इस नियम के अनुसार द्रव्य अविनाशी है अर्थात् द्रव्य को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही उत्पन्न किया जा सकता है अतः अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारी पदार्थो का कुल द्रव्यमान बनने वाले उत्पाद के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है |
जैसे ; सिल्वर क्लोराइड , नाइट्रिक अम्ल से संयोग करके सिल्वर नाइट्रेट और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बानाता है
AgCl+ HNO3 – AgNO3 + HCl

स्थिर अनुपात का नियम

स्थिर अनुपात का नियम

किसी भी यौगिक को चाहे हम जितनी भी विधियों से बनाये यौगिक में भाग लेने वाले पदार्थो के अनुपात सदैव निश्चित होते हैं
जैसे ; जल एक यौगिक है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना है इसे काहे जितनी भी विधियों से बनाये ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का भारानुपात 1:8 होता है तथा परमाणुवीय अनुपात 2 :1 होता है

गुणित अनुपात का नियम

गुणित अनुपात का नियम

इस नियम के अनुसार यदि दो पदार्थ परस्पर संयोग करके दो या दो से अधिक यौगिक बनाते हैं तो उनमे से एक तत्व के निश्चित द्रव्यमान से संयोग करने वाले दुसरे तत्व के द्रव्यमान में सरल गुणित अनुपात होता है |
जैसे ; कार्बन और ऑक्सीजन परस्पर संयोग करके CO और CO2 बनाता है इनमे से कार्बन के निश्चित द्रव्यमान (12 )से संयोग करने वाले दुसरे तत्व ऑक्सीजन का अनुपात 16:32 होगा , जो सरल गुणित अनुपात है |

व्युत्पन्न अथवा तुल्य अनुपात का नियम ;

व्युत्पन्न अथवा तुल्य अनुपात का नियम

इस नियम के अनुसार, यदि दो तत्व भिन्न -भिन्न द्रव्यमान वाले किसी तीसरे तत्व के निश्चित द्रव्यमान से संयोग करके यौगिक बनाये हो और कभी इन दोनों तत्वों का संयोग हो जाये तो वे उसी अनुपात में संयोग करते हैं जिस अनुपात में तीसरे तत्व से संयोग किये रहते हैं
जैसे ; ऑक्सीजन और सल्फर तीसरे तत्व हाइड्रोजन से संयोग करके H2O और H2S बनाता है यदि ऑक्सीजन और सल्फर का संयोग हो जाये तो SO2 बनाता है |

गैलूसाक के गैस आयतन सम्बन्धी नियम

गैलूसाक के गैस आयतन सम्बन्धी नियम

इस नियम के अनुसार , यदि दो गैसें परस्पर संयोग करके पुनः गैस बनातीहैं तो अभिकारी गैस के आयतन और उत्पाद गैस के आयतन में निश्चित अनुपात होता है |
जैसे ; हाइड्रोजन गैस क्लोरिन गैस से संयोग करके हाइड्रोजन क्लोराइड गैस बनाती है इनमे
हाइड्रोजन : क्लोरिन : हाइड्रोजन क्लोराइड
1:1::2

डाल्टन के परमाणु सिध्दान्त के अनुसार

डाल्टन के परमाणु सिध्दान्त के अनुसार

i. सभी पदार्थ सूक्ष्म (छोटे -छोटे )कणों से मिलकर बना होता है जिसे परमाणु कहते हैं |
ii. परमाणु किसी तत्व का वह सुक्ष्मतम कण है स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता परन्तु रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है |
iii. परमाणु अविनाशी है अर्थात् परमाणु को न तो नष्ट किया जा सकता और न उत्पन्न किया जा सकता है |
iv. जितने प्रकार के तत्व होते हैं उतने प्रकार के परमाणु होते हैं
v. भिन्न भिन्न तत्वों के परमाणु के आकर ,द्रव्यमान तथा अन्य सभी गुण भिन्न-भिन्न होते हैं |

निष्कर्ष

निष्कर्ष

मै आशा करता हु की आप सभी को पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति से जितने भी प्रश्न होंगे समझ में आ गया होगा |