ध्वनि तरंग से आप क्या समझते है ध्वनि के प्रकार एवं विशेषताएं?

By   July 27, 2022

वह विक्षोप जो अपने आकर में बिना परिवर्तन किये एक निश्चित चाल से माध्यम में आगे की ओर संचरित होती रहती है तरंग या तरंग गति कहलाती है |या हम अपने भाषा में कह सकते हैं कि “विक्षोप के आगे बढ़ने की प्रवृत्ति को तरंग या तरंग गति कहते है |”जैसे : -जब हम तालाब के शांत जल में पत्थर का एक टुकड़ा डालते है तो उसमे विक्षोप उत्पन्न हो जाता है जो अपने आकर में बिना परिवर्तन किये तालाब के किनारे तक एक नियत चाल से आता है |शांत जल में जब पत्थर का टुकड़ा डालते है तो पत्थर के संपर्क में जल के अणु आते है वे पत्थर के साथ ही निचे की ओर चले जाते हैं ,

अतः वहाँ एक गढ्ढा बन जाता है अतः प्रत्यास्थता के गुण के कारण जल सपने अवस्था परिवर्तन का विरोध करता है | अतः जल के अणु गढ्ढे को भरने के लिए चाल देते हैं ,फिर जड़त्वीय के गुण के कारण गढ्ढे को भरने के बाद भी जल के अणु आते रहते है अतः वहाँ एक टापू बन जाता है |फिर प्रत्यास्थता के गुण के कारण अवस्था परिवर्तन का विरोध होता है,

अतः अणु वहा से हटने लगते है और यही प्रक्रिया चलती रहती है इस प्रकार ,विक्षोप आगे की ओर माध्यम में संचारित होती रहती है |और माध्यम के कण अपने ही स्थान पर इधर -उधर गति करते रहते हैं |तरंग के संचरित होने पर केवल ऊर्जा और संवेग का स्थानान्तरण होता है द्रव्य का नहीं |

जैसे : किसी धागे के एक सिरे को दृढ़ आधार से कसकर बाँधकर जब उसके दुसरे सिरे को खीचकर छोड़ते हैं तो उसमे एक विक्षोप उत्पन्न हो जाता है | अतः तरंगो के संचरण के लिए माध्यम की आवश्कता होती है तथा कुछ ऐसी तरंगे हैं जिनके संचरण के लिए माध्यम की कोई आवश्यकता आवश्यकता नहीं होती है |

तरंगो के प्रकार

तरंगो के प्रकार

तरंगे दो प्रकार की होती है
(1) यांत्रिक तरंगे (mechanical waves)
(2) विधुत चुम्बकीय तरंगे (electro magnetic waves
)

यांत्रिक तरंग

(1) यांत्रिक तरंग :

: वे तरंगे जिनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है |यांत्रिक तरंगे कहलाती है |
जैसे :जल में उत्पन्न तरंगे ,डोरी में उत्पन्न तरंगे , स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगे |

विधुत चुम्बकीय तरंगे

(2) विधुत चुम्बकीय तरंगे :

वे तरंगे जिनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है विधुत चुम्बकीय तरंगे कहलाती है |
जैसे : प्रकाश की तरंगे |

यांत्रिक तरंगो के प्रकार

यांत्रिक तरंगो के प्रकार

ये तरंगे दो प्रकार की होती है |
(1) अनुप्रस्थ तरंगे (Transverse waves)
(2) अनुदैर्ध्य तरंगे (Longitudinal waves )

अनुप्रस्थ तरंगे

(1) अनुप्रस्थ तरंगे :

(1 ) वे तरंगे जिनके संचरण की दिशा एंव माध्यम के कणों की दिशा एक दुसरे के लम्बवत होती है |अनुप्रस्थ तरंग कहलाती है |
जैसे : रस्सी में उत्पन्न तरंगे ,जल के पृष्ठ पर उत्पन्न तरंग

अनुदैर्ध्य तरंगे

(2) अनुदैर्ध्य तरंगे :

वे तरंगे जिनके संचरण की दिशा एवं माध्यम के कणों के कम्पन की दिशा एक की होती है |अनुदैर्ध्य तरंगे कहलाती है |
जैसे : स्प्रिंग को खीचकर छोड़ने पर उत्पन्न तरंगे ,
अनुदैर्ध्य तरंगे ठोस ,द्रव तथा गैस तीनो में होती है |

तरंगो से सम्बंधित परिभाषाये

तरंगो से सम्बंधित परिभाषाये

1 आवर्त :(Period)) कम्पंकारी कण जब साम्य अवस्था के एक ओर अधिकतम पर पहुचकर साम्य में लौटती है फिर दूसरी ओर अधिकतम पर पहुचकर साम्य में लौटती है इसे 1 आवर्त कहते है |

आयाम :(Amplitude))

कम्पंकारी कण साम्य अवस्था के एक ओर जितनी अधिकतम दुरी पर जाती है आयाम कहलाती है |

आवर्तकाल (Periodic time)

आवर्तकाल (Periodic time)

1 आवर्त पूरा करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है |

आवृति : ( Frequency)

आवृति : ( Frequency)

कम्पंकारी कण 1 सेकंड में जितना कम्पन्न पूरा करती है आवृति कहलाती है |इसको n से प्रदर्शित करते है
यदि कण द्वारा T सेकंड में किये गये कम्पन्न =1 हो तो
1 सेकंड में किये गये कम्पन्न =1\T होगा
अतः n= 1\T

कम्पनकारी कला :(Phase)

कम्पनकारी कला :(Phase)

कम्पन्न की कला एक भौतिक राशि है जो कण के स्थिति को प्रदर्शित करता है |
जैसे : किसी कण की कला T\4 है तो इसका अभीप्राय है कि कण साम्य अवस्था के एक ओर अधिकतम पर स्थित है | तथा यदि कण T\2 कला में स्थित हो तो इसका अभिप्राय है कि कण आधा कम्पन्न पूरा करके साम्य अवस्था में है |

तरंग दैर्घ्य : (Wavelength)

तरंग दैर्घ्य : (Wavelength)

एक कम्पन्न पूरा करने में तरंग द्वारा चली गई दुरी को तरंग दैर्घ्य कहते है इसे (λ) से प्रदर्शित करते है |

निष्कर्ष

निष्कर्ष

मै आशा करता हु कि ध्वनि तरंग क्या है ध्वनि के प्रकार एवं विशेषताएं सभी समझ में आ गया होगा |