Ganesh Chaturthi Information in Hindi, Information About Ganesh Chaturthi in Hindi, गणेश चतुर्थी उत्सव क्यों मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी का इतिहास, गणेश चतुर्थी पर निबंध, गणेश चतुर्थी से सम्बंधित 10 लाइने, गणेश भगवान के 12 नाम
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Ganesh Chaturthi Information in Hindi :-
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है, गणेश चतुर्थी त्योहार को भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में इसको बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन को ही भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था, गणेश चतुर्थी के दिन हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।
भारत देश के बहुत से भागो में भगवान श्री गणेश जी की बड़ी प्रतिमा भी स्थापित की जाती है तथा प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है और बड़ी संख्या में आस पास के लोग यहाँ पर दर्शन करने के लिए आते है नौ दिन बाद नांच और गानो के साथ गणेश जी की प्रतिमा को नहर, नदी इत्यादि जगहों विसर्जित कर दिया जाता है।
गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है (Ganesh Chaturthi Information) :-
गणेश चतुर्थी उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी दिवस से चतुर्दशी दिवस तक मनाया जाता है, गणेश उत्सव का आयोजन प्राचीन काल में भी होता था जिसके प्रमाण हमे सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के काल में मिलते है, मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश उत्सव को राष्ट्रधर्म और संस्कृति से जोड़कर एक नई संस्कृति की शुरुआत करी थी।
दोस्तों श्री गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी उत्सव का आयोजन प्राचीन काल में भी होता था जिसके प्रमाण हमे सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के काल से मिलते है। मराठा शासकों ने श्री गणेश उत्सव के इसी क्रम को जारी रखा और पेशाओं के समय भी गणेश उत्सव इसी तरह जारी रहा, श्री गणेशजी पेशवाओं के कुलदेवता थे इसी कारण गणेशजी को ‘राष्ट्रदेव’ का दर्जा प्राप्त हो गया था, ब्रिटिश शासन काल मे गणेश उत्सव का त्योहार सिर्फ हिन्दू घरों तक ही सिमटकर रह गया था।
गणेश चतुर्थी का इतिहास (History of Ganesh Chaturthi in Hindi) :-
दोस्तों गणेश चतुर्थी उत्सव का आयोजन प्राचीन काल में भी होता था जिसके प्रमाण हमे सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के काल से मिलते है, श्री गणेशजी पेशवाओं के कुलदेवता थे इसी कारण गणेशजी को ‘राष्ट्रदेव’ का दर्जा प्राप्त हो गया था, ब्रिटिश शासन काल मे गणेश उत्सव का त्योहार सिर्फ हिन्दू घरों तक ही सिमटकर रह गया था।
सन 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजो ने घबराकर सन 1894 में एक बहुत कठोर कानून बना दिया था जिसे हम धारा 144 के नाम से जानते है, धारा 144 आजादी के बाद से अब तक उसी स्वरुप में आज भी लागु है, यह एक ऐसा कानून था कि किसी भी स्थान पर 5 भारतीय से अधिक आदमी इकठ्ठा नही हो सकते थे अर्थात भारतीय समूह बनाकर कोई कार्य या प्रदर्शन नही कर सकते थे और यदि कोई ब्रिटिश अधिकारी भारतियों को इकठ्ठा देख लेता तो उसके लिए बहुत ही कड़ी सजा दी जाती थी कि जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते थे यदि भारतीय लोग समूह बनाये थे तो उनको कोड़े से मारा जाता था और उनके हाथो से नाखुनो को खींच लिया जाता था।
भारतीय लोगों के मन से अंगेजो के प्रति इस व्याप्त भय को ख़त्म करने तथा इस कानून का विरोध करने के लिए ‘लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक’ ने गणेश उत्सव की पुनः शुरुआत करी तथा इसकी शुरुआत पुणे के ‘शनिवारवाडा’ में गणेश उत्सव के आयोजन से हुई।
पहले लोग गणेश उत्सव का पर्व अपने घरो में मनाया करते थे परन्तु सन1894 के बाद से इस उत्सव को सामूहिक तौर पर मनाया जाने लगा, पुणे के शनिवारवाडा में हजारो लोगो की भीड़ एकात्रित हुयी तथा लोक मान्य तिलक जी ने अंग्रेजो को चेतावनी दी कि अंग्रेज पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए क्यूंकि उस समय यह कानून था कि अंग्रेज पुलिस सिर्फ राजनैतिक समारोह में उमड़ी भीड़ को ही गिरफतार कर सकती है धार्मिक समारोह में उमड़ी भीड़ को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
सन 1894 में 20 से 30 अक्टूबर यानी पुरे 10 दिन तक तक पुणे के शनिवारवाडा में गणपति उत्सव मनाया गया, हर दिन लोकमान्य तिलक वहाँ भाषण के लिए किसी बड़े व्यक्ति को आमंत्रित किया करते थे, 20 तारीख को बंगाल के सबसे बड़े नेता ‘विपिनचन्द्र पाल’ तथा 21 तारीख को उत्तर भारत के ‘लाला लाजपत राय’ वहाँ आये थे इसी प्रकार वहाँ पर ‘चापेकर बंधू’ भी आये थे।
पुरे 10 दिनों तक वहां पर इन महान नेताओ के भाषण हुए और सभी भाषणों का मुख्य आधार यही होता था कि भारत को अंग्रेजो से आजाद कराए, गणपति जी हमें इतनी शक्ति दे कि हम स्वराज्य लाए।
अगले साल सन 1895 में पुणे में 11 गणपति स्थापित किए गए फिर अगले साल 31 तथा अगले साल यह संख्या 100 पार कर गई और इस प्रकार से यह संख्या हर साल बढ़ती, धीरे-धीरे पुणे के नजदीकी बड़े शहरो जैसे अहमदनगर, मुंबई, नागपुर आदि शहरों तक गणपति उत्सव फैल गया और प्रतिवर्ष गणपति उत्सव पर लाखो लोगो की भीड़ जमा होती थी तथा आमंत्रित नेता उनमें देश प्रेम के भाव जाग्रत करने का कार्य किया करते थे।
सन 1904 में लोकमान्य तिलक जी ने अपने भाषणों में लोगो से कहा था की गणपति उत्सव का मुख्य उद्देश्य आजादी हासिल करना है स्वराज्य हासिल करना है अपने देश से अंग्रेजो को भगाना है, बिना स्वराज्य के श्री गणपति उत्सव का कोई भी औचित्य नही है।
गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है :-
गणेश चतुर्थी का उत्सव भगवान ‘श्री गणेश’ के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी का त्यौहार यही कोई 11 दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है परन्तु इस उत्सव को पश्चिमी भारत में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है तथा वहां पर इसकी रौनक देखने ही वाली होती है, इस उत्सव को खासकर मुंबई शहर में जहाँ इस दौरान देश भर के लोगो का ही नहीं बल्कि विदेश तक के इसको देखने के लिए आते है।
गणेश भगवान के 12 नाम :-
गणेश भगवान के 12 नाम इस प्रकार से है-
- गजानन
- एकदंत
- लंबोदर
- विकट
- सुमुख
- कपिल
- गणाध्यक्ष
- भालचन्द्र
- गजकर्ण
- विघ्नविनाशक
- विनायक
- धूमकेतू
गणेश चतुर्थी पर निबंध (Ganesh Chaturthi Par Nibandh) :-
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म में मनाया जानें वाला एक प्रमुख उत्सव है, गणेश चतुर्थी का उत्सव अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त-सितंबर के महीनें में मनाया जाता है। गणेश उत्सव 11 दिनों तक चलने वाला एक बहुत ही लम्बा उत्सव होता है, गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने-अपने घरों में गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लेकर आते हैं और 10 दिन तक गणेश जी की उस मूर्ति का पूजन करते है, पूजा करने के बाद 11वें दिन गणेश जी की मूर्ति को नहर, नदी इत्यादि जैसी पवित्र जगह पर विसर्जित कर देते हैं।
गणेश चतुर्थी का उत्सव देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है लेकिन इस उत्सव को मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। लोग गणेश जी की मूर्ति को बड़ी धूमधामके साथ तथा ढोल-नगाड़े बजाकर अपने घर लेकर आते हैं, गणेश उत्सव के दिनों में मंदिरों में खूब साज-सजावट की जाती है तथा कोई भी नया काम शुरू करने से पहले श्री गणेश भगवान को सबसे पहले याद किया जाता है। गणेश जी को बच्चे प्यार से गणेशा नाम से भी बुलाते हैं।
गणेश चतुर्थी से लेकर आने वाले 10 दिनों तक भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है लोगों के द्वारा भक्ति गीत गाए जाते हैं, मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है तथा अलग अलग प्रकार के पकवान बनते हैं और मंदिरों पर भंडारे का आयोजन भी कराया जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन बाजारों में बहुत ही अधिक भीड़-भाड़ रहती है तथा इस दिन बाजार में श्री गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ और उनके फोटोज बिकते हैं। मिट्टी से बनाई गईं श्री गणेश जी की मूर्तियाँ बहुत ही भव्य लगती हैं। सभी लोग गणेश भगवान जी की मूर्ति को अपने-अपने घरों तथा मंदिरों में उचित स्थान पर स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
गणेश उत्सव के 10 दिन पूरे होने के बाद 11वें दिन गणेश विसर्जन की तैयारी बहुत ही धूमधाम के साथ की जाती है, गणेश विर्सजन के लिए लोग सुंदर रथ या वाहनों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और गणेश भगवान जी की आरती की जाती है और उनकी मूर्ति को रथ में बिठाया जाता है।
इसके बाद फिर पूरे शहर में बहुत ही धूम-धाम के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है और गणेश शोभायात्रा में लोग गुलाल उड़ाते हैं, पटाखे जलाते हैं, गणपत्ति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरिया के नारे लगाये जाते हैं, आज कल लोग डीजे बजाते है तथा नाचते-कूदते हुए गणेश जी की मूर्ति को किसी पवित्र जल धारा में जैसे नहर, नदी या समुंदर में प्रतिमा को विसर्जित कर देते है।
गणेश चतुर्थी पर 10 लाइनें :-
- गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से हिंदूओं का उत्सव है।
- गणेश चतुर्थी का उत्सव श्री गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
- गणेश चतुर्थी उत्सव 11 दिन तक चलने वाला एक विशाल महोत्सव होता है।
- गणेश चतुर्थी का उत्सव, भाद्र माह (अगस्त-सितंबर) में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं।
- गणेश चतुर्थी उत्सव को महाराष्ट्र शहर में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
- गणेश चतुर्थी उत्सव में लोग अपने घरों तथा मंदिरों में गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करते हैं।
- भगवान श्री गणेश जी के पूजन में लाल चंदन, कपूर, नारियल, गुड़ और उनका प्रिय मोदक होता है।
- लोग रोजाना मंत्रों का उच्चारण करते हैं तथा गीत और आरती गाकर श्री गणेश भगवान की पूजा करते हैं।
- 10 दिन पुरे हो जाने बाद 11वें दिन गणेश जी की प्रतिमा को पवित्र जल की धारा में विसर्जित कर दिया जाता है।
- बड़े-बड़े स्टार भी श्री गणेश उत्सव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति की पूजा करते हैं।
Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-
Qus 1: गणेश उत्सव कब शुरू हुआ?
Ans: गणपति उत्सव की शुरुआत सन 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की। 1893 के पहले भी गणपति उत्सव बनाया जाता था पर वह सिर्फ घरों तक ही सीमित था।
Qus 2: गणेश जी की स्थापना क्यों की जाती है?
Ans: गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप लगाया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की थी तथा इन दस दिनों में वेदव्यास ने श्री गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए तभी से गणपति स्थापना की प्रथा चल पड़ी और इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न प्रकार के भोजन अर्पित किए जाते हैं।
Qus 3: गणेश चतुर्थी का त्योहार कितने दिनों के लिए मनाया जाता है?
Ans: गणेश उत्सव पर्व को 10 दिनों तक बहुत ही धूम-धाम के मनाया जाता है, इस उत्सव को गणेशोत्सव तथा विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
Qus 4: क्यों गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है?
Ans: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी तथा जब वेद व्यास जी ने 10 दिन बाद अपनी आंखें खोली तो देखा कि गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था और तभी से गणेश उसत्व 10 दिन तक धूम-धाम के साथ मनाया जाने लगा।
आज आपने क्या सीखा :-
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