उष्मीय ऊर्जा से आप क्या समझते है ?

By   July 26, 2022

उष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का ही एक रूप है अर्थात् जब किसी निकाय अथवा उसके चारो ओर के परिवेश के बीच तापान्तर में अंतर होता है तो उसके उष्मीय ऊर्जा में भी आदान -प्रदान होता है
अतः हम जानते है कि उच्च ताप वाली वस्तु से निम्न ताप वाली वस्तु में ऊष्मा का आदान प्रदान तब तक होता है जब तक की दोनों वस्तु के ताप बराबर न हो जाय|
दो वस्तुओ के बीच तापान्तर के कारण स्थानांतरित ऊर्जा को उष्मीय ऊर्जा कहते हैं |

उष्मीय ऊर्जा के मात्रक

उष्मीय ऊर्जा के मात्रक

किसी भी वस्तु के ऊष्मा को ज्ञात करने के लिए कई मात्रको का प्रयोग किया जाता है जिस प्रकार लम्बाई ,द्रव्यमान ,समय आदि भौतिक राशि को मापने के लिए मात्रक की आवश्कता होती है उसी प्रकार उष्मीय ऊर्जा को मापने के लिए मात्रक की आवश्यकता होती है अतः उष्मीय ऊर्जा को मापने के लिए कैलोरी का उपयोग किया जाता है |
अतः 1 ग्राम जल का ताप 10C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 कैलोरी कहते हैं |
|कई प्रयोगों के आधार पर यह देखा गया है कि जल प्रत्येक 10C(10०C से 11०C अथवा 80०C से 81०C) ताप बढ़ाने पर बराबर ऊष्मा नहीं होता अतः वैज्ञानिको ने यह निर्णय किया कि 1 ग्राम जल का ताप 14०C से 15०C तक बढ़ाने लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 कैलोरी कहते हैं|
इसी प्रकार ,
ऊष्मा को किलोकैलोरी में भी व्यक्त किया जाता है अतः 1 किलोग्राम जल का ताप 14०C से 15०C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 किलोकैलोरी कहते हैं |
अतः 1 किलोकैलोरी = 1000 कैलोरी
1 किलोकैलोरी = 103 कैलोरी

ऊष्मा का SI मात्रक

ऊष्मा का SI मात्रक :

चूँकि ऊष्मा ऊर्जा ही रूप है अतः SI पद्धति में ऊष्मा को ऊर्जा के मात्रक जूल (Joule) में व्यक्त करते हैं
जूल नामक वैज्ञानिक अपने प्रयोगों के आधार पर उष्मीय ऊर्जा के मात्रक और कैलोरी के बीच सम्बन्ध स्थापित किया कि 4.2 जूल ऊर्जा 1 कैलोरी ऊष्मा के तुल्य होता है |
1 कैलोरी =4.18 जूल =4.2 जूल (लगभग )
1 किलोकैलोरी =4.18 *103 जूल
अतः 1 जूल= 1\4.18 कैलोरी

ऊष्मा धारिता (Heat Capacity)

ऊष्मा धारिता (Heat Capacity)

हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु में ऊष्मा देने पर वस्तु के ताप में वृद्धि होती है तथा वस्तु के ताप में वृद्धि दी गई ऊष्मा के अनुक्रमानुपती होती है
अतः यदि वस्तु को दी गई ऊष्मा Q हो तथा ताप में वृद्धि डेल्टा t हो तोQ अ डेल्टा t Q = W. डेल्टा t
जहाँ W एक समानुपाती नियतांक है जिसे वस्तु की ऊष्मा धारिता कहते हैं
यदि डेल्टा t =10C हो तो Q = W
अतः किसी वस्तु का ताप 1०C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को वस्तु की ऊष्मा धारिता कहते हैं |
अतः ऊष्मा धारिता का मात्रक जूल\ डिग्री सेल्सियस होता है

विशिष्ट उष्मा

विशिष्ट उष्मा

प्रयोगों के आधार पर यह देखा गया है कि जब किसी पदार्थ का ताप बढ़ाया जाता है तो आवश्यक ऊष्मा कि मात्रा निम्न कारको पर निर्भर करता है –
(1) पदार्थ के द्रव्यमान पर
Q समानुपाती m
(2) पदार्थ के ताप में वृद्धि पर
Q समानुपाती डेल्टा t
अतः Q समानुपाती mडेल्टा t या Q = sm *डेल्टा t
जहाँ s एक नियतांक है जिसे पदार्थ कि विशिष्ट ऊष्मा धारिता अथवा विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं |
यदि m = 1 किलोग्राम
तथा डेल्टा t = 1०C हो तो
Q = s होगा

अतः 1 किलोग्राम द्रव्यमान का ताप 1०C , बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं |

निष्कर्ष

निष्कर्ष

मै आशा करता हु की उष्मीय ऊर्जा से आप क्या समझते है ? ऊष्मीय ऊर्जा का आधुनिक तथा अंतरराष्ट्रीय मात्रक क्या है? ताप संतुलन क्या है? ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? ऊष्मा के माप को क्या कहते हैं? समझ में आ गया होगा यदि कुछ आपको समझ में न आये तो आप comment कर सकते है