Category Archives: प्रेरणा

Rabbit information in hindi |खरगोश की जानकारी हिंदी में

By   December 23, 2021

खरगोश कैसा जानवर है क्या खाता है इसकी उम्र क्या होती है इसकी समस्त जानकारी हिंदी में दोस्तों आज के लेख (Rabbit information in hindi) में खरगोश से संबंधित जानकारियों का वर्णन वर्णन करने वाले हैं इस लेख में खरगोश पर निबंध को भी समझाने का प्रयास किया है तो चलिए शुरू करते हैं।

खरगोश का परिचय Introduction to Rabbits

खरगोश बहुत छोटा प्राणी है यह देखने में बहुत सुन्दर लगता है यह लेपोरिडी परिवार का एक छोटा स्तनपायी प्राणी है इसको पुरे विश्व के कई जगहो पर पाया जाता है इसकी प्रजातियाँ की संख्या 8 है।

इनके लिए अनुकूल जगह जंगलों, घास के मैदानों, मरुस्थलों आदि स्थानों पर निवास करते है इनके द्वारा अंगोरा ऊन की प्राप्ति होती है खरगोश का दिमाग बहुत तेज होता है।

ये हर जगह की नक्शा बनाने में माहिर होता है इस छोटे जानवर की लंबाई लगभग 40 से 50 सेंटीमीटर होती है और वजन भी लगभग  2 kg  के आस पास होता है।

जहां तक इसकी उपस्थिति के अनुसार ज्यादातर यूरोपियन खरगोश को ही पालना पसंद करते हैं हमारे आसपास में जो खरगोश दिखाई देते हैं वह भी यूरोपियन खरगोश ही  होते हैं।

खरगोश की संरचना  structure of the rabbit

खरगोश जितना दिखने में सुंदर लगता है  उसका कारण शरीर की बनावट होती है क्योंकि उसी के आधार पर वह अच्छा दिखता है इसके दांतो की संख्या 28 होती है जो लगभग हमेशा बढ़ती रहती है जब इसके बच्चे होते हैं तब इनके शरीर पर बाल नहीं होते हैं।

खरगोश की कान लगभग 10 सेंटीमीटर होते हैं इनकी आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं  ये कई रंगों में दिखाई देते हैं जिनमें से काले सफेद वह भूरे ज्यादा लोग पसंद करते हैं एक बार में  मादा खरगोश 9 से अधिक बच्चों को जन्म दे सकती है।

खरगोश के भोजन rabbit food

यह प्राणी शाकाहारी होता है जो अधिक मात्रा में अपने भोजन के रूप में घास गाजर फल अनाज आदि को लेते  है  इनकी  दाते बहुत नुकीली होती हैं जिनसे ए अपना भोजन आसानी से बनाते हैं जैसा जैसा समय बदल रहा इन प्राणियों को ही अपने शिकार के रूप में लेने लगे हैं अथार्थ  अब लोग इनको भी अपने खाने के रूप में लेते हैं एक समय ऐसा था जब लोग केवल खरगोशों को घर की शोभा के लिए पाला जाता था।

खरगोश का प्रजनन प्रक्रिया rabbit breeding process

खरगोश की गर्भ  काल की बात करें तो लगभग 35 दिन के अंदर समाप्त  होता है एक बार में मादा खरगोश लगभग 9 बच्चे तब पैदा कर सकती है जब मादा खरगोश अपने बच्चे को जन्म देती है तब उनके शरीर में एक भी बाल नहीं होता है उनकी आंखें लगभग 15 दिन के बाद ही खुलती है।

खरगोश की उम्र age of rabbit

खरगोश की उम्र 8 से 12 वर्ष की होती है आज के समय में सभी लोग इनको अपना शिकार बनाने के लिए चारों तरफ ढूंढते हैं क्योंकि किसानों की फसलों को यह ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए उनकी संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है जिससे इनकी आबादी बहुत कम हो गई है।

खरगोश के बारे में रोचक जानकारियां Interesting facts about rabbit

  • खरगोश खाने में  लगभग 7 घंटे लेते हैं।
  • खरगोश अपनी भोजन को सूंघकर ही खाता है।
  • खरगोश को सभी दिशाओं में देखने की क्षमता होती है क्योंकि खरगोश की आखे  360 डिग्री तक देखने में सहायक होती हैं।
  • विश्व में चीन एक ऐसा देश है जोकि खरगोश की मीट को अधिक मात्रा में उत्पादन करता है।
  • खरगोश की सोने की समय लगभग 7:00 से 9 घंटे होती है।

खरगोश की दैनिक जीवन daily life of rabbit

इनमें  हमेशा नर और मादा दोनों खरगोशों को एक साथ में देखा जाता है अधिकतर ये  झुंड के रूप में रहना पसंद करते हैं यहां तक की भोजन की तलाश में  भी जब ए जाते हैं तब भी ये  झुंड में ही दिखाई देते हैं दिन में घने जंगलों में छुपे रहते हैं।

खरगोश और  खरहा में अंतर difference between rabbit and puss

प्राणी खरगोश खरहा
निवास खरगोश जमीन के नीचे बिल  में रहते हैं खरहा जमीन के ऊपर घोंसला बनाकर रहता है
आखे खरगोश की जन्म के समय आंखें बंद होती है खरहे के बच्चे जन्म से ही देख सकते हैं
बाले खरगोश में जन्म के समय बाले नहीं होती हैं खरगोश में जन्म के समय बाले होती हैं
आकार  खरहा से छोटे होते है खरहा खरगोश से आकार में बड़े होते हैं
पालतू ये पालतू होते है ये पालतू नही होते है

खरगोश पर निबंध Essay on rabbit

essay on rabbit in hindi

essay on rabbit in hindi

  1. यह जीव एक स्तनधारी जीव के रूप में पाया जाता है।
  2. इनकी मुख्य प्रजाति के रूप में खरहा को देखा जाता है।
  3. इनमे नर और मादा दोनों खरगोश होते हैं जिनमें से नर को बक्स मादा को डॉक्स के नाम से जानते हैं।
  4. इनके अंगोरा प्रजाति को चीन में लोग अधिक मात्रा में पालते हैं।
  5.  ये झुंड में रहने वाले जीव होते हैं।
  6. खरगोश में स्वाद कणिकाएं लगभग 14000 होती हैं।
  7. खरगोश की  वजन 2 kg  के आसपास होती हैं
  8. इनकी लंबाई 40 से 50 सेंटीमीटर होती है।
  9. खरगोश को सबसे अधिक खतरा कुत्ता बिल्ली लोमड़ी एवं भेड़िया आदि  जानवरों से ज्यादा होता है क्योंकि इनके द्वारा खरगोशों को अधिक मात्रा में शिकार किया जाता है।
  10. खरगोश की गति लगभग 40 किलोमीटर प्रति घंटे से 60 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है।
  11.  अमेरिका में खरगोश की संख्या बहुत ज्यादा है।
  12. ये अधिकतर  काले सफेद और भूरे रंग में दिखाई देते हैं।
  13. इनकी दांतों की संख्या 28 होती है।
  14. इनके जीवन का लगभग 11 वर्ष की होती है।
  15. खरगोश की दिल 1 मिनट में लगभग 135 से 140 बार धड़कता है।
  16. इसकी सुंदरता लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

FAQ

खरगोश की शारीरिक संरचना कैसी होती है ?

खरगोश की लम्बाई 18 से 20 इंच तक होती है एव कान लम्बी होती है

खरगोश की रफ्तार कितनी होती है

60 KM/HRS

खरगोश  खाने में क्या खाता है

100 से 120 ग्राम दाना

खरगोश कितने घंटे सोता है?

8 घंटा

आपने क्या सिखा

आज के इस लेख में हम लोगों ने Rabbit information in hindi लेख के जरिए इसकी जितनी भी जानकारी हो सकती थी हमने आसान भाषा में आप सबके सामने स्पष्ट रूप से देने का काम किया मैं आशा करता हूं कि मेरे द्वारा जितना भी जानकारी खरगोश के बारे में दिया गया है वह सही  है इस लेख के द्वारा  के द्वारा हमने खरगोश पर निबंध को भी कवर किया है यदि हमारे द्वारा दी गई जानकारी में आपके द्वारा कोई कमी दिखाई दे आप हमें कमेंट कर सकते हैं जिससे कि हम उसमें अपडेट कर सकें धन्यवाद।

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Crow Information in Hindi | कौआ से सम्बंधित सारी जानकारी

By   December 23, 2021

Crow Information in Hindi, Information About Crow in Hindi, कौआ के बारे में जानकारी, Essay on Crow in Hindi, कौवे की बनावट, कौआ का भोजन, कौवे की नस्लें, कौवे से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्य

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम कौआ से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त करने वाले है, दोस्तों अगर आप कौआ से सम्बंधित जानकारी के लिए यहाँ पर आये है तो आप सही जगह आये है। आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, आपको कौवे से सम्बंधित बहुत साड़ी जानकारियां मिलने वाली हैं।

Crow Information in Hindi :-

कौवा काला रंग का एक पक्षी होता है, कौवे को अंग्रेजी भाषा में crow के नाम से जाना जाता है। कौवे की आवाज बहुत ही कर्कश होती है।  कौवा पक्षी ‘corvids family’ का सदस्य है, इस फैमिली में कौवे के अलावा ravens, jays, jackdaws, magpies, nutcrackers भी शामिल हैं।

कौवा का वैज्ञानिक नाम कोर्वस (Corvus) है, कौवा पक्षियों में सबसे बुद्धिमान पक्षी माना जाता है , कौवे के कई कारनामे हैरत में डाल देने वाले होते है। कौवे 7 तक की गिनती बहुत आसानी से सीख जाते हैं तथा यें 50 से ज्यादा पूर्ण वाक्य बोल लेते हैं, कौवे किसी भी व्यक्ति के चेहरे को याद रखते हैं यदि कोई इनके किसी साथी को मार दे तो ये उस हत्यारे की ख़ोज भी करते हैं।

कौवा का रंग कोयल की तरह बिल्कुल ही काला होता है परन्तु इनकी आवाज कोयल की तरह मीठी नहीं होती है, कौआ की आवाज कठोर होती है तथा यें काँव काँव की आवाज करते है।

Information About Crow in Hindi :-

कौआ दुनिया के उन पक्षियों में आते है जिनकी संख्या पृथ्वी पर बहुत ही अधिक मात्रा में है, कौआ का रंग काला होता है तथा इनकी गर्दन का रंग स्लेटी होता है। कौआ के काले रंग तथा कड़क आवाज की वजह से लोग इसे पसंद नहीं करते हैं। कौआ एक मध्यम आकार का पक्षी है तथा इनका गुण अन्य पक्षियों की तुलना में भिन्न होती है।

कौआ बहुत ही बुद्धिमान तथा चतुर पक्षी होता है, इसकी दो आंखें, दो पंजे तथा एक नुकीली चोंच होती है। इसके अलावा कौवे के दो पंख होते है जो उड़ने में मदद इनकी करते है। कौआ को प्रकृति को स्वच्छ रखने वाला पक्षी है क्योंकि यें भोजन के रुप में सड़ें-गले भोजन एवं कोंटों को खाकर वातावरण को स्वच्छ बनाते है, कौआ एक सर्वाहारी पक्षी होता है।

कौआ के शरीर की बनावट (Body Structure of Crow in Hindi) :-

कौआ मध्यम आकार का एक पक्षी होता है, इनके पास दो छोटी चमकीली आंखें, एक चोंच तथा दो पंजे होते है जोकि काफी नुकीली होती है। कौए की चोंच बहुत ही मजबूत होता है तथा चोंच की सहायता से यें भोजन को टुकड़ों में करते है तथा इसी चोंच से यें कीड़े-मकोड़ें को भी पकड़ते है।

कौआ के शरीर पर छोटे-छोटे बाल भी होते हैं, इनका शरीर काले रंग का होता है परंतु इनकी गर्दन का रंग स्लेटी होता है। कौआ के शरीर पर दो पंख होते है जिसके द्वारा यें खुले आसमान में उड़ते है। कौए के शरीर की बनावट एवं रंग रूप कोयल से काफी मिलता-जुलता है।

कौआ का आहार :-

कौआ एक सर्वाहारी पक्षी है तथा यह सब कुछ खाता है जैसे-मांस, कीड़े मकोड़े, रोटी ,सड़े-गले कचरे इत्यादि।
कौआ एक ‘प्रकृति संरक्षण पक्षी’ भी कहा जाता है क्योंकि कौआ कीड़े-मकोड़े, सड़े-गले भोजन इत्यादि को खाकर वातावरण को सुंदर बनाए रखने में हमारी मदद करता है। भोजन के अभाव में कभी-कभी यें दूसरे पक्षियों के अंडे को भी खा जाते है।

कौआ की नस्लें :-

पृथ्वी पर कौवे की 40 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती है, जो दुनिया के अलग-अलग भागों में पाया जाता है। कौआ के कुछ प्रजातियों इस प्रकार हैं-

  • मेलोडी
  • हौंवाइनेसिस
  • कोरैक्स
  • फ्रगिलगस
  • कोरोन
  • कोरवसकौरिनस
  • ब्राचिर्हिनचोस इत्यादि।

इनमें से प्रत्येक नस्ल का आकार तथा वजन अलग-अलग प्रकार का होता है। ऑस्ट्रेलिया देश में विश्व का सबसे छोटा कौआ पाया जाता है तथा ‘बेलग्रेड’ में विश्व का सबसे बड़ा कौआ पाया जाता है। इन सभी नस्लों में से कुछ नस्ल के कौए का जीवन काल 30 वर्षों का भी होता है।

कौवे पर निबंध :-

कौवा काला रंग का पक्षी होता है, कौवे को अंग्रेजी भाषा में Crow के नाम से जाना जाता है। कौवा को गुजराती में “कागला”, मारवाडी में “हाडा” तथा पंजाबी में ‘कागा’ नाम से जाना जाता है अर्थात कौए को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कौवे का जीवनकाल लगभग 10 साल से 15 वर्ष के मध्य में होता है, अमेरिकन कौवा सबसे बड़ा कौवा माना जाता है तथा इसकी लम्बाई 26 इंच तथा इनके पंखो की लम्बाई 4 फुट तक होती है।

कौवे काव-काव की कर्कश ध्वनि निकलते है। कौवे अपना घोसला सूखी तथा पतली टहनियों के द्वारा किसी ऊँची डाल पर बनाते हैं। मादा कौवा एक बार में 4-5 अंडे देती है, कौवा का मुख्य आहार छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े, अनाज के बीज, मांस तथा फल होता हैं।

कौआ से संबंधित कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about crow) :-

  • कौआ बहुत ही चतुर तथा बुद्धिमान पक्षी होता है।
  • एक कौआ का जीवनकाल लगभग 18 से 20 वर्षों का होता है।
  • कौआ कचड़े तथा कीड़े-मकोड़ों को खाकर वातावरण को स्वच्छ रखने में हमारी मदद करता है।
  • कौआ का वजन लगभग 40 ग्राम से 1.5kg तक के मध्य में होता है।
  • कौआ भी इंसान की तरह किसी के चेहरे को याद रख सकता है।
  • कौआ अक्सर समूहों में भ्रमण करता है।
  • नर कौआ हमेशा ही मादा कौआ के साथ ही रहता है।
  • कौआ पेड़ों के शाखाओं पर घोंसला बनाकर रहता है।
  • मादा कौवा एक बार में 4-5 अंडे देती है।
  • स्वीडन में कौवे को मृत लोगों की आत्मा माना जाता है।
  • नीदरलैंड देश में कौआ पक्षी को प्रशिक्षण देकर उनसे सफाई का काम करवाया जाता है।
  • कौआ पक्षी को शुभ तथा अशुभ दोनों रूपों में देखा जाता है।

Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-

Qus 1: कौआ की उम्र कितनी होती है?

Ans: एक कौए की अधिकतम आयु 15 से 20 साल के मध्य में होती है।

Qus 2: कौआ की बोली क्या होती है?

Ans: कौआ की बोली कठोर तथा कर्कश वाली होती है, यह काँव काँव की आवाज करता है।

Qus 3: कौवे का वैज्ञानिक नाम क्या है?

Ans: कौवे का वैज्ञानिक नाम “Corvus” है।

Qus 4: कौआ का तत्सम शब्द क्या है?

Ans: कौआ शब्द का तत्सम रूप काक होता है।

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आज हमने क्या सीखा :-

आज आर्टिकल में हमने कौआ से समबन्धित जानकारियों को प्राप्त किया, इस आर्टिकल में हमने Crow Information in Hindi, Information About Crow in Hindi, कौआ के बारे में जानकारी, Essay on Crow in Hindi, कौवे की बनावट, कौआ का भोजन, कौवे की नस्लें तथा कौवे से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी यह जानकारी पसंद आयी हो तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

kabaddi information in hindi|कबड्डी की जानकारी हिंदी में

By   December 22, 2021

कबड्डी खेल एव इसके नियम, एव इससे सम्बंधित सभी जानकारी Kabaddi game and its rules, and all the information related to it कबड्डी अन्य खेलो की तरह एक खेल है जिसका प्रचलन भारतीय उपमहाद्वीप में अधिक देखा जाता है कबड्डी को अलग अलग विभिन नामो  से जाना जाता है

जैसे की दक्षिण में चेडुगुडु और पूर्व में हु तू तू इस खेलो की लोकप्रियता भारत के साथ साथ नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान आदि देशो में ज्यादा है इस लेख (kabaddi information in hindi) में हम इस खेल से सम्बंधित जानकारियों का विस्तार से वर्णन करने वाले है इस लेख को कबड्डी के निबंध के रूप में आसानी के प्रयोग किया जाता है

कबड्डी के नियम हिंदी में rules of kabaddi in hindi

आइये सबसे पहले कबड्डी खेल से सम्बंधित कुछ नियन की जानकारी पर चर्चा करते है जिसके अनुसार पूरा खेल खेला जाता है यह खेल दो टीमो के मध्य खेला जाता है इस खेल में अंक पाने के लिए एक टीम का रेडर (कबड्डी-कबड्डी बोलने वाला) विपक्षी पाले (कोर्ट) में जाकर वहाँ मौजूद खिलाडियों को छूना होता है उस टीम द्वारा पकड़कर वापस जाने से रोकना होता है

यदि खिलाडी टच करके वापस चला जाता है तो एक अंक मिलता है यदि पकड़ा जाता है तो एक अंक विपक्षी team को मिलता है इस खेल में खिलाडियों की संख्या 12 होती है जिसमें से 7 कोर्ट में होते हैं और 5 रिज़र्व होते हैं  इसकी कोर्ट का माप 13 मीटर × 10 मीटर होता है

कबड्डी खेल का इतिहास Kabaddi game history

यह खेल भारतीय संस्कृति से जुड़ा है इसका आगाज तमिलनाडु में हुआ था यह खेल विश्व में 1936 में प्रसिद्ध हुआ शुरुआत में भारत एव भारत के करीबी देशो ने इस खेल में भाग लिया उसके बाद 1980 में एशिया चैंपियनशिप के रूप में खेलने की प्राथमिकता मिली इस खेल में भारत  बांग्लादेश नेपाल, मलेशिया और जापान देशो ने भाग लिया था जिसमे भारत में बांग्लादेश को पराजित किया था

कबड्डी खेल की समय kabaddi game time

अब आइए इसकी समय सीमा के बारे में देख लेते हैं लगभग 20-20 मिनट का खेला जाता है जो होता है हर 20 मिनट के बाद टिम एक दूसरी की जगह बदलती है 5 मिनट का आराम भी होता है

पुरे मैच के सुचारू रूप से चलाने वाले में एक रेफ़री, दो अम्पायर, दो लाइंसमैन, एक टाइम कीपर, एक स्कोर कीपर और एक टीवी अम्पायर होता है आज कल महिलाये भी इस खेल में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है जो की काफी सराहनीय है

कबड्डी खेल का महत्वपूर्ण बिंदु Important point of Kabaddi game

खेल का नाम कबड्डी
खेल की माप 13X10 मीटर
समय सीमा 40 मिनट
खेल का संस्थापक देश तमिलनाडु (भारत )
भारत में कबड्डी की सुरुवात 1915 और 1920 में
राष्ट्रीय खेल है बांग्लादेश
रेड समय 30 सेकंड
समय 20 मिनट
ड्रिंक टाइम 5 मिनट
खिलाडियों की संख्या 12

कबड्डी खेल की मैदान कैसी होनी चाहिए what should be the field of kabaddi

अब खेल की मैदान के बारे में अच्छी तरह से समझ लेते हैं क्योंकि किसी भी खेल के लिए खेल की मैदान की समझ बहुत आवश्यक होती है क्योंकि इसी के अनुसार पूरी खेल को संपन्न कराया जाता है सामान्य तौर पर इसकी माप 12.50 मीटर लम्बा और 10 मीटर होती है

अलग मापदंड के हिसाब से अलग माप होती है जैसे 50 किग्रा भार से कम वर्ग के पुरुषों एवं महिलाओं के लिए यह लम्बाई 11 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर होती है

कबड्डी पर निबंध Essay On Kabaddi

  • खेल की शुरुआत भारत के  तमिलनाडु से माना जाता है
  • इस खेल में खिलाड़ियों की संख्या 12 होती है
  • यह खेल बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है
  • कबड्डी खेल में दो पाले होती है जिनमें खिलाड़ी खेलते हैं
  • खेल की समय सीमा 20 -20 मिनट की होती है
  • पहली बार 2004 में कबड्डी का विश्व कप खेला गया था जिनमें भारत विजेता था
  • इस खेल को को 1970 में एशियन खेल के रूप में प्रसिद्धि मिली
  • कबड्डी खेलने वाले लोग शारीरिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं

FAQ

Q कबड्डी  कैसे खेली जाती है?

7 प्लेयर्स वाली दो टीम होती है एक बड़े मैदान में 20 मिनट के दो हाफ में एक दूसरे का सामना करती हैं

Q भारत में कबड्डी का संचालन कौन करता है?

कबड्डी खेल का वर्तमान में मशाल स्पोर्ट्स द्वारा प्रबन्धित किया जाता है।

Q कबड्डी की शुरुआत किस राज्य से हुई?

तमिलनाडु

Q कबड्डी खेल किस देश से शुरू हुआ था?

भारत

आपने क्या सिखा

तो दोस्तों आज के इस लेख kabaddi information in hindi में हम कबड्डी खेल से संबंधित जानकारियों को विस्तार से समझाने का प्रयास किया गया और मैं आशा करता हूं कि हमारे द्वारा कबड्डी के विषय में जो जानकारियां दिया गया है वह स्पष्ट रूप से सुनियोजित तरीके से दिया गया है जोकि कबड्डी के कबड्डी पर निबंध आदि सभी लेखों में सहायक है

यदि हमारे द्वारा दिया गया जानकारी में कीसी प्रकार का कोई कमियां हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं जिससे कि हम उसे अपडेट कर पाए  धन्यवाद

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रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी | Rabindranath Tagore Information in Hindi

By   December 22, 2021

Rabindranath Tagore Information in Hindi, रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा, रबिन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाये, रबिन्द्रनाथ टैगोर की उपलब्धिया, रबिन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय, रबिन्द्रनाथ टैगोर की म्रत्यु

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम रबीन्द्रनाथ टैगोर जी से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त करने वाले है, अगर आप रबीन्द्रनाथ टैगोर जी से सम्बंधित जानकारी के लिए यहाँ आये है तो आप सही जगह आये है, आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़े आपको रबीन्द्रनाथ टैगोर जी से सम्बंधित बहुत सी प्रकार की जानकारियां मिलने वाली है।

Rabindranath Tagore Information in Hindi :-

दोस्तों रविंद्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार तथा दार्शनिक थे, रविंद्रनाथ टैगोर जी एक अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला हुआ है। इसके अलावा टैगोर जी नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति भी थे। रविंद्रनाथ टैगोर जी ‘गुरुदेव’ के नाम से भी प्रसिद्ध है इन्होंने बांग्ला साहित्य और संगीत को एक नई दिशा दी।

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की रचनाएं भारत तथा बांग्लादेश, दो देशों का राष्ट्रगान है अर्थात यें दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं, इनके द्वारा रचित ‘जन गण मन’ भारत देश का राष्ट्र-गान तथा ‘आमार सोनार बाँग्ला’ बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान है। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने बंगाली साहित्य में नए तरह के पद्य और गद्य और बोलचाल की भाषा का भी प्रयोग किया।

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने मात्र 8 वर्ष की उम्र में ही अपनी पहली कविता लिखी थी, 16 साल की उम्र में इनके द्वारा रचित कविता ‘भानुसिम्हा’ उपनाम से प्रकाशित भी हो गयीं। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी घोर राष्ट्रवादी थे और उन्होंने ब्रिटिश राज की भर्त्सना करते हुए देश की आजादी की मांग की, जलिआंवाला बाग़ हत्याकांड के बाद इन्होंने अंग्रेजों के द्वारा दिए गए नाइटहुड का त्याग कर दिया था।

संक्षिप्त जानकारी (Rabindranath Tagore Information in Hindi) :-

पूरा नाम रबीन्द्रनाथ ठाकुर
पिता का नाम श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर
माता का नाम श्रीमति शारदा देवी
जन्म दिवस 7 मई 1861
जन्म-स्थान कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी
धर्म हिन्दू
राष्ट्रीयता भारतीय
उपाधि लेखक और चित्रकार
प्रमुख रचना गीतांजलि
पुरुस्कार नोबोल पुरुस्कार
भाषा बंगाली, इंग्लिश
म्रत्यु 7 अगस्त 1941

रबीन्द्रनाथ ठाकुर या रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर तथा माता का श्रीमति शारदा देवी था।

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी अपने माता-पिता की तेरह जीवित संतानों में से सबसे छोटे थ, जब ये छोटे थे उसी समय इनकी माता का स्वर्गवास हो गया था, इनके पिता अक्सर यात्रा पर रहते थे इसलिए इनका लालन-पालन नौकरों-चाकरों के द्वारा ही किया गया।

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के सबसे बड़े भाई का नाम द्विजेन्द्रनाथ था जोकि एक दार्शनिक और कवि थे,इनके एक दूसरे भाई का नाम सत्येन्द्रनाथ टैगोर था तथा वें इंडियन सिविल सेवा में शामिल होने वाले पहले भारतीय थे। टैगोर जी के एक अन्य भाई का नाम ज्योतिन्द्रनाथ था जोकि संगीतकार और नाटककार थे, इनकी बहन का नाम स्वर्नकुमारी देवी था जो एक एक कवयित्री और उपन्यासकार थीं।

रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा (Rabindranath Tagore Education) :-

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता शहर के एक बहुत ही प्रसिद्ध स्कूल “सेंट जेवियर” नामक स्कूल मे हुई, टैगोर जी जन्म से ही बहुत ज्ञानी थे। इनके पिता प्रारंभ से ही समाज के लिये समर्पित थे इसलिये वें रबिन्द्रनाथ जी को भी बैरिस्टर बनाना चाहते थे।

सन 1878 में इनके पिता ने रबिन्द्रनाथ जी का लंदन के विश्वविद्यालय मे दाखिला कराया परन्तु बैरिस्टर की पढ़ाई मे रूचि न होने के कारण सन 1880 मे रबीन्द्रनाथ जी बिना डिग्री लिये ही वापस आ गये।

कैरियर :-

इंग्लैंड (लंदन) से वापस आने के बाद इनकी शादी हो गयी और इसके बाद सन 1901 तक इन्होंने अपना अधिकांश समय ‘सिआल्दा’ (अब बांग्लादेश में) स्थित अपने परिवार की जागीर में बिताया।

इसके बाद सन 1898 में उनके बच्चे और पत्नी भी उनके साथ वही पर रहने लगे थे इन्होंने दूर तक फैले अपने जागीर में बहुत भ्रमण किया तथा ग्रामीण और गरीब लोगों के जीवन को बहुत ही करीबी से देखा। इसके बाद इन्होने वर्ष 1891 से लेकर 1895 तक ग्रामीण बंगाल के पृष्ठभूमि पर आधारित कई लघु कथाएँ लिखीं।

सन 1901 में रविंद्रनाथ टैगोर जी शा’न्तिनिकेतन’ चले गए और वहां पर इन्होंने एक स्कूल, पुस्तकालय और पूजा स्थल का निर्माण किया, इन्होंने वहाँ पर बहुत सारे पेड़ लगाये तथा एक सुन्दर बगीचे का निर्माण किया, यहीं पर उनकी पत्नी तथा इनके दो बच्चों की मौत भी हुई, सन 1905 में इनके पिता का भी स्वर्गवास हो गया।

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का विवाह :-

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का विवाह सन 1883 ईस्वी में हुआ, इनकी पत्नी का नाम “म्रणालिनी देवी” था।

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की प्रमुख रचनाएं :-

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी एक महान कवि, साहित्यकार, लेखक, चित्रकारतथा एक बहुत अच्छे समाजसेवी भी थे, रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने बाल्यकाल मे, जिस उम्र में बालक खेलता है उस उम्र मे इन्होने अपनी पहली कविता लिख दी थी, जिस समय रबिन्द्रनाथ टैगोर जी नेअपनी पहली कविता लिखी उस समयइनकी उम्र केवल 8 वर्ष थी।

सन 1877 में जान इनकी उम्र मात्र सोलह वर्ष की थी इन्होने लघुकथा लिख दी थी, रबिन्द्रनाथ टैगोर जी ने लगभग 2,230 गीतों की रचना की। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की प्रमुख रचनाएँ गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिन, महुआ, कणिका, शिशु भोलानाथ, नैवेद्य मायेर खेला, गीतिमाल्य, चोखेरबाली, वनवाणी इत्यादि थी।

साहित्य :-

अधिकतर लोग रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को एक कवि के रूप में ही जानते हैं परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं था, रबीन्द्रनाथ जी ने कविताओं के साथ-साथ, उपन्यास, लेख, लघु कहानियां, यात्रा-वृत्तांत, ड्रामा और हजारों गीत भी लिखे है।

संगीत और कला :-

रविंद्रनाथ टैगोर जी एक महान कवि और साहित्यकार के साथ-साथ एक उत्कृष्ट संगीतकार और पेंटर भी थे, रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने लगभग 2230 गीत लिखे तथा इन गीतों को रविन्द्र संगीत के नाम से जाना जाता है, इसके अलावा भारत तथा बांग्लादेश के राष्ट्रगीत भी रविंद्रनाथ टैगोर जी के द्वारा लिखे गए थे जोकि रविन्द्र संगीत का हिस्सा हैं।

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की उपलब्धियां :-

आईये अब रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की उपलब्धियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते है-

  • रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को अपने जीवन में बहुत सारी उपलब्धियों तथा सम्मान से नवाजा गया परन्तु उनमें से सबसे प्रमुख थी “गीतांजलि”, सन 1913 ईस्वी में गीतांजलि के लिये “रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को “नोबेल पुरुस्कार” से सम्मानित किया गया था।
  • रबिन्द्रनाथ टैगोर जी ने विश्व के दो देशों “भारत तथा बंगलादेश” को उनकी सबसे बड़ी अमानत के रूप में ‘राष्ट्रगान’ दिया है जोकि अमरता की निशानी है, किसी भी महत्वपूर्ण अवसर पर प्रत्येक देश के द्वारा अपना राष्ट्रगान गाया जाता है, भारत का राष्ट्रगान “जन-गण-मन तथा बंगला देश का राष्ट्रगान “आमार सोनार बांग्ला” है और इन दोनों राष्ट्रगानों की रचना रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के द्वारा किया गया है।
  • रबिन्द्रनाथ टैगोर जी अपने जीवन मे तीन बार “अल्बर्ट आइंस्टीन” जैसे महान वैज्ञानिक से भी मिले जो रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को ‘रब्बी टैगोर’ के नाम से पुकारते थे।

रबिन्द्रनाथ टैगोर के जीवन की कार्यशैली :-

रबिन्द्रनाथ टैगोर कभी न रुकने वाले तथा निरंतर कार्य करने पर विश्वास रखते थे , इन्होने बहुत सारे ऐसे ऐसे कार्य भी किये है जिससे लोगो का भला ही हुआ है जिनमे से एक है शांतिनिकेतन की स्थापना। शान्तिनिकेतन की स्थापना, गुरुदेव का सपना था इसलिए इन्होने सन1901 में गुरुदेव के इस सपने को पूरा किया और शान्तिनिकेतन की स्थापना की।

वो यह चाहते थे कि प्रत्येक विद्यार्थी कुदरत या प्रकृति के समुख पढ़े जिससे विद्यार्थियों को बहुत ही अच्छा माहोल मिले, इसलिये गुरुदेव ने, शान्तिनिकेतन मे पेड़-पौधों तथा प्राकृतिक माहोल में पुस्तकालय की स्थापना की, रबिन्द्रनाथ टैगोर के बहुत प्रयास के बाद शान्तिनिकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ जिसमे साहित्य कला केअनेक विद्यार्थी अध्यनरत हुए।

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की यात्रायें :-

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने सन 1878 से लेकर सन 1932 तक के बीच में 30 देशों की यात्रा की, टैगोर जी की यात्राओं का मुख्य मकसद अपनी साहित्यिक रचनाओं को उन लोगों तक पहुँचाना था जो लोग बंगाली भाषा नहीं समझ पाते थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की अंतिम विदेश यात्रा सन 1932 में सीलोन (अब श्रीलंका) की थी।

अंतिम समय :-

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने अपने जीवन के अंतिम 4 साल पीड़ा और बीमारी में बिताये, सन 1937 के अंत में टैगोर जी अचेत हो गए तथा बहुत समय तक इसी अवस्था में रहे। लगभग तीन साल बाद एक बार फिर ऐसा ही हुआ। बीच में जब कभी भी वें ठीक होते तो कवितायें लिखते, इस दौरान उनके द्वारा लिखी गयीं कविताएं उनकी बेहतरीन कविताओं में से एक हैं।

रबिन्द्रनाथ टैगोर की म्रत्यु (Rabindranath Tagore Death) :-

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का निधन 7 अगस्त सन 1941 को कोलकाता मे हुआ, रबिन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसा व्यक्तित्व है जो मर कर भी अमर है।

Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-

Qus 1: रविंद्र नाथ टैगोर का निधन कब हुआ था?

Ans: रविंद्र नाथ टैगोर का निधन “7 अगस्त सन 1941” को हुआ था।

Qus 2: रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कब और कहां?

Ans: रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई सन 1861 में ‘कोलकाता’ में हुआ था।

Qus 3: रविंद्र नाथ टैगोर का बचपन का नाम क्या था?

Ans: रविंद्र नाथ टैगोर का बचपन का नाम “देवेंद्रनाथ टैगोर” था।

Qus 4: रविंद्र नाथ टैगोर के माता पिता का क्या नाम है?

Ans: रविंद्र नाथ टैगोर के पिता का नाम ‘देवेन्द्रनाथ टैगोर’ तथा माता का नाम ‘शारदा देवी’ था।

Qus 5: रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार कब दिया गया?

Ans: रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार सन 1913 में दिया गया था।

इसे भी पढ़ें :-

आज आपने क्या सीखा :-

आज इस आर्टिकल में हमने रबीन्द्रनाथ टैगोर जी से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त किया, इस आर्टिकल में हमने Rabindranath Tagore Information in Hindi, रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा, रबिन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाये, रबिन्द्रनाथ टैगोर की उपलब्धिया, रबिन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय, रबिन्द्रनाथ टैगोर की म्रत्यु इत्यादि जैसी जानकारियों को प्राप्त किया।

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क्रिसमस क्यों और कैसे मनायें? | Christmas Information in Hindi

By   December 21, 2021

Christmas Information in Hindi, Information About Christmas in Hindi, क्रिसमस कब मनाया जाता है, क्रिसमस कैसे मनाया जाता है, क्रिसमस का इतिहास, क्रिसमस ट्री, सांता क्लॉज

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम क्रिसमस डे से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त करने वाले है, अगर आप क्रिसमस से सम्बंधित जानकारी के लिए यहाँ पर आये है तो आप सही जगह आये है बस आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़े आपको क्रिसमस से सम्बंधित बहुत सारी जानकारियां मिलने वाली है।

Christmas Information in Hindi :-

प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी के रूप में मनाया जाने वाला ईसाई धर्म का महत्त्वपूर्ण त्यौहार है, क्रिसमस डे को एक अन्य नाम “बड़ा दिन” के नाम से भी जाना जाता हैं। 25 दिसंबर को ईसा मसीह यानि यीशु का जन्म हुआ था इसलिए ईसाई धर्म के लिए यह पर्व ‘क्रिसमस’ बहुत ही ख़ास पर्व होता है।

यह पर्व प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को दुनिया के अधिकांश देशों में मनाया जाता है। क्रिसमस शब्द का जन्म “क्राइस्ट मास” शब्द से हुआ है, इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि 336 ई. में रोम में सबसे पहला क्रिस्मस डे मनाया गया था।

‘क्रिसमस डे’ पूरे विश्व में मनाये जाने वाले त्यौहारों में से एक है, क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगो के लिए बहुत ही विशेष फेस्टिवल है। ‘क्रिसमस डे’ फेस्टिवल को क्रिश्चियन समुदाय के लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं तथा इस दिन पुरे विश्व में छुट्टी होती हैं।

 

क्रिसमस कैसे मनाया जाता है (How Christmas is celebrated in Hindi) :-

दोस्तों दुनियां में जितने भी पर्व या त्यौहार मनाये जाते हैं उन सबका मकसद केवल प्रेम ही होता है, Christmas के दिन लोग एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं तथा पार्टियां करते हैं। दोस्तों सभी त्योहारों को प्रेम और आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता हैं, क्रिसमस डे का भी यही उद्देश्य होता है।

बच्चों में प्रेम और ईश्वर के प्रति आस्था बनाये रखने के लिए क्रिसमस डे (25 दिसंबर) को कई प्रकार के आयोजन भी किये जाते हैं।

  • इस दिन यीशु के जन्म का सेलिब्रेशन किया जाता हैं, खासतौर पर चर्च में जश्न मनाया जाता हैं।
  • क्रिसमस डे के दिन चर्च में प्रेयर की जाती हैं, मैडिटेशन करते हैं, सॉंग गाये जाते हैंतथा कैंडल जलाकर सेलिब्रेशन किया जाता हैं।
  • क्रिसमस डे के दिन लोग बाइबिल पढ़ते हैं, मैडिटेशन करते हैं और अपने धर्म के अनुसार उपवास करते हैं।
  • क्रिसमस डे के दिन, जीवन संबंधी कहानियाँ पढ़ी एवम सुनाई जाती हैं, जिससे मनुष्यों में शांति, दया, सदाचार एवम प्यार का भाव उत्पन्न हो।
  • क्रिसमस के दिन सभी अपने घर तथा घर के आसपास के सभी स्थानों को साफ़ करते हैं, उन्हें सजाते हैं. कई अच्छे-अच्छे पकवान बनाते हैं, इस दिन लोग अपनों के लिए गिफ्ट्स लाते हैं, कार्ड्स बनाते हैं. और एक दुसरे से मिलकर उन्हें कार्ड्स, गिफ्ट्स तथा कई पकवान देते हैं।

क्रिसमस डे कब मनाया जाता है (Christmas Day Information) :-

प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर के दिन यह पर्व (क्रिसमस डे) मनाया जाता हैं, इसे बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है की इसी दिन ईसा मसीहा का जन्म हुआ था और इसी के उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है, ईसा मसीहा क्रिश्चियन समुदाय के भगवान कहे जाते हैं।

क्रिसमस का पर्व 12 दिनों तक मनाया जाता है, इस प्रकार यह पर्व 25 दिसंबर से 6 जनवरी तक चलता हैं, क्रिसमस के 12 दिन के फेस्टिवल को क्रिसमस टाइड के नाम से जाना जाता हैं।

दोस्तों सभी धर्म प्रेम का पाठ सिखाते हैं इस त्यौहार का भी यही मकसद होता हैं यह पर्व भी मनुष्यों में प्यार और विश्वास को बनाये रखने का संदेश देता है, क्रिसमस के दिन सभी एक-दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स, कार्ड्स आदि देते हऔर पार्टियां करते हैं।

क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है :-

ऐसा माना जाता है की इसी दिन ईसा मसीहा का जन्म हुआ था और इसी के उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है अर्थात क्रिसमस डे भगवान ईसा मसीहा के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, ईसा मसीहा क्रिश्चियन समुदाय के भगवान कहे जाते हैं।

क्रिस्मस का इतिहास (Christmas History in Hindi) :-

25 दिसंबर को क्रिसमस मानाने को लेकर बहुत सारी भिन्न-भिन्न कथाएं प्रचलित हैं एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के मध्य हुआ था, 25 दिसम्बर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं है और लोगों का ऐसा मानना है कि इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है।

ईसाई धर्म के लोगों का यह मानना है कि इस दिन रोम के गैर ईसाई लोग अजेय सूर्य का जन्मदिन मनाते थे और ईसाई चाहते थे की यीशु का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाए। सर्दियों में जब सूरज की गर्मी कम हो जाती है तो गैर ईसाई इस इरादे के साथ पूजा पाठ करते और रीति-रस्म मनाते ताकि सूरज अपनी लम्बी यात्रा से लौट आए और दोबारा उन्हें गरमी और रोशनी प्रदान करें। और उनका यह भी मानना था कि 25 दिसम्बर से सूरज लौटना शुरू भी कर देता है।

विश्व के लगभग सौ से भी ज्यादा देशों में क्रिसमस का त्यौहार आज बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है, अनेक देशों में इस दिन राजकीय अवकाश भी घोषित किया जाता है। इस दिन को क्रिसमस पर्व के रूप में मनाने के लिए काफी समस्याओं से जूझना पड़ा था, पिछले डेढ़ शताब्दी से क्रिसमस का पर्व बिना किसी बाधा के आयोजित किए जा रहे हैं।

सांता क्लॉज (Santa Claus in Hindi) :-

सांता क्लॉज, क्रिसमस डे पर्व की पहचान बन चुका है, सांता क्लॉज की छवि एक गोल मटोल आदमी की होती है जो हमेशा लाल कपड़े पहन कर रखता है तथा सर पर टोपी लगाए हुए रहता है। सांता क्लॉज क्रिसमस डे के दिन अपनी स्लेज पर बैठकर बच्चों को गिफ्ट देने के लिए आता है, सांता क्लॉज के बिना क्रिसमस की कल्पना हर किसी के लिए अधूरी है।

सांता क्लॉज को लेकर बहुत सारी कथाएं मौजूद हैं कई लोगों का मानना हैं कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस (Saint Nicholas),जो तुर्की के मीरा (Myra) नामक शहर के बिशप थे, वही असली सांता थे, संत निकोलस गरीबों को हमेशा गिफ्ट दिया करते थे तथा लोग संत निकोलस का काफी आदर भी करते थे। उसी समय से सांता क्लॉज की परिकल्पना की जाने लगी।

क्रिसमस ट्री (Christmas Tree in Hindi) :-

जब भगवान ईसा मसीहा का जन्म हुआ था तब सभी देवता उनको देखने और उनके माता-पिता को बधाई देने आए थे, उस दिन से आज तक हर क्रिसमस के मौके पर सदाबहार फर के पेड़ को सजाया जाता है और इस ट्री को ‘क्रिसमस ट्री’ कहा जाता है। क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति का नाम “बोनिफेंस टुयो” था, बोनिफेंस टुयो एक अंग्रेज धर्मप्रचारक था, यह पहली बार जर्मनी में दसवीं शताब्दी के बीच शुरू हुआ था।

क्रिसमस डे से सम्बंधित कुछ ख़ास जानकारियां :-

क्रिसमस डे से सम्बंधित कुछ ख़ास जानकारियां निम्न प्रकार से है-

  • प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर के दिन ईसाई धर्म का सबसे खास पर्व क्रिसमस मनाया जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन ‘ईसा मसीह’ यानि ‘यीशु’ का जन्म हुआ था।
  • क्रिसमस डे के दिन एक फर के पेड़ को सजाया जाता है, इस पर रंग बिरंगी लाइट्स लगाई जाती हैं तथा तोहफे आदि लटकाए जाते हैं, लोगों का ऐसा मानना है कि ये पड़े घर की नेगेटिविटी को दूर करता है।
  • फर के इस पेड़ को लोग क्रिसमस ट्री कहते हैं, लोगों का ऐसा मानना है कि यीशु के माता-पिता को शुभकामनाएं देने के लिए देवदूतों ने फर के पेड़ को सितारों से सजाया था तथा ऐसा कहा जाता है कि जर्मनी से पेड़ सजाने की परंपरा शुरु हुई थी।
  • पूरी दुनिया में इस त्यौहार को मानाया जाता है अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, यूरोप में इस त्यौहार को लगभग 12 दिनों तक मनाया जाता है।

Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-

Qus 1: 25 दिसंबर को क्या क्या मनाया जाता है?

Ans: 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है, प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व सेलिब्रेट किया जाता है।

  • इसे बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसके अगले दिन बॉक्सिंग डे सेलिब्रेट करते हैं।

Qus 2: भगवान ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में कौन सा त्यौहार मनाया जाता है?

Ans: भगवान ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में “क्रिसमस डे” त्यौहार मनाया जाता है।

Qus 3: क्रिसमस का त्योहार कब और कैसे मनाया जाता है??

Ans: हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है, क्रिसमस का पर्व उपहारों का आदान-प्रदान करके जाता है तथा घरों में क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है।

Qus 4: क्रिसमस कैसे मनाया जाता है?

Ans: क्रिसमस के पर्व में “क्रिसमस-ट्री” को सजाया जाता है तथा पूजा स्थलों के परिसरों को इस तरह सजाया जाता है जैसे दिवाली का पर्व हो, इस दिन लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते है।

Qus 5: ईसा मसीह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans: ईसा मसीह का जन्म “ल. 4 BC यहूदा, रोमन साम्राज्य” में हुआ था।

इसे भी पढ़ें :-

आज आपने क्या सीखा :-

आज इस आर्टिकल में हमने क्रिसमस से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त किया, इस आर्टिकल में हमने Christmas Information in Hindi, Information About Christmas in Hindi, क्रिसमस कब मनाया जाता है, क्रिसमस कैसे मनाया जाता है, क्रिसमस का इतिहास, क्रिसमस ट्री, सांता क्लॉज इत्यादि जैसी जानकारियों को प्राप्त किया।

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भारत के टॉप 30 एतिहासिक स्मारकों के नाम | Monuments of India in Hindi

By   December 20, 2021

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दोस्तों आज इस आर्टिकल में भारत देश प्रमुख स्मारकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है, इस आर्टिकल में हम Monuments of India in Hindi, ताज महल, लाल किला, इंडिया गेट, क़ुतुब मीनार तथा हवा महल इत्यादि जैसे प्रमुख स्मारकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है।

दोस्तों अगर आप भारत के प्रमुख स्मारकों के बारे में जानकारी पाने के लिए यहाँ पर आये है तो आप सही जगह आये है बस आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें आपको बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होने वाली है, आईये शुरू करते है और इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं-

Monuments of India in Hindi :-

दोस्तों भारत देश में बहुत सारी स्मारकें मौजूद है जिकी अपनी अलग-अलग कहानी है, आईये अब एक-एक करके भारत देश की प्रमुख स्मारकों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

1. ताज महल (Taj Mahal) :-

ताज महल उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में यमुना नदी के किनारे पर स्थित है, ताज महल का निर्माण मुगल के बादशाह ‘शाहजहां’ के द्वारा अपनी बेगम ‘मुमताज’ की यादों में सफेद संगमरमर के पत्थरों से कराया गया था। सन 1983 में ताज महल को UNESCO विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया तथा ताज महल को विश्व के सात आश्चर्यो की सूची में भी शामिल किया गया है।

2. लाल किला (Red Fort) :-

लाल किला भारत देश की राजधानी “दिल्ली” के ‘पुरानी दिल्ली’ भाग में स्थित है, लाल किले का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने लाल बलुआ पत्थरों से करवाया था। लाल किले के दीवारों का रंग लाल होने के कारण ही इसको ‘लाल किला’ कहा जाता है। वर्ष 2007 में UNESCO ने लाल किले को विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया था।

3. कुतुबमीनार (Qutub Minar) :-

कुतुबमीनार, भारत देश की पुरानी दिल्ली शहर के मेहरौली भाग में स्थित है, कुतुबमीनार इमारत की नींव दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक ‘कुतुबुद्दीन ऐबक’ ने रखी थी परन्तु इसके निर्माण कार्य को इल्तुतमिश तथा फ़िरोज़शाह तुगलक’ ने पूरा करवाया था। कुतुबमीनार ईंटो से बनी हुयी विश्व की सबसे ऊंची इमारत है। कुतुबमीनार UNESCO की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।

4. बुलंद दरवाजा (Lofty Door) :-

बुलंद दरवाजा उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले से कुछ ही दूरी पर स्थित फतेहपुर सीकरी नामक स्थान पर स्थित है, बुलंद दरवाजा का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने गुजरात पर विजय प्राप्त करने की याद में सन 1602 ई0 में करवाया था।

बुलंद दरवाजा को विश्व का सबसे बड़ा प्रवेश द्वार होने का गौरव प्राप्त है, बुलंद दरवाजे का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से हुआ है तथा इसे सफेद संगमरमर की चट्टानों से सुसज्जित किया गया है।

5. इंडिया गेट (India Gate) :-

इंडिया गेट का निर्माण भारत की राजधानी ‘दिल्ली’ में राजपथ पर किया गया है, इसके डिज़ाइन को सर एडवर्ड लुटियन के द्वारा तैयार किया गया था तथा इंडिया गेट का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में करवाया गया था। यहाँ पर लगभग 13,300 शहीद सैनिकों का नाम लिखा हुआ है।

6. हवा महल (Hawa Mahal) :-

हवा महल (Hawa Mahal) राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित है, हवा महल एक पांच मंजिल की बहुत ही खूबसूरत इमारत है। हवा महल का निर्माण सन 1798 ई0 में महाराजा ‘सवाई प्रताप सिंह’ के द्वारा करवाया गया था। हवा महल का डिज़ाइन को वास्तुकार ‘लाल चंद उस्ता’ के द्वारा तैयार किया गया था।

7. हुमायूँ का मकबरा (Humayu’s tomb) :-

हुमायूँ का मकबरा ‘नई दिल्ली’ के निजामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के समीप स्थित है, इस मक़बरे का निर्माण मुगल शासक हुमायूँ की बेगम के आदेश पर सन 1562 ई0 में करवाया गया था। हुमायूँ के मक़बरे में मुगल बादशाह हुमायूँ की कब्र मौजूद है। हुमायूँ का मक़बरा भारत मे वास्तु कला का पहला उदाहरण है।

8. चारमीनार (Charminaar) :-

चारमीनार आंध्र प्रदेश राज्य के ‘हैदराबाद’ शहर में स्थित है, चारमीनार का निर्माण कुतुब शाही वंश के शासक सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह के द्वारा सन् 1591 ई0 में कराया गया था।

9. सांची का स्तूप (Sanchi Stupa) :-

सांची का स्तूप मध्य प्रदेश राज्य के ‘रायसेन’ जिले में स्थित है तथा इसका निर्माण मौर्य वंश के शासक सम्राट ‘अशोक महान’ के द्वारा कराया गया था। ‘सांची का स्तूप’ स्मारक में भगवान बुद्ध से सम्बन्धित कुछ अवशेष रखे हुए थे। सांची का स्तूप को प्यार, शांति, विश्वास एवं साहस का प्रतीक माना जाता है।

10. आगरा का किला (Agra Red Fort) :-

आगरा का किला उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में स्थित है। यह मुगलकालीन शासको का निवास स्थान था, मुगल शासक यहीं से शासन् व्यवस्था को संभाला करते थे।

11. जामा-मस्जिद (Jama Masjid) :-

जामा-मस्जिद भारत की राजधानी ‘दिल्ली’ में स्थित हैजामा-मस्जिद का निर्माण सन् 1665 ई0 में मुगल बादशाह शाहजहां के द्वारा लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर की चट्टानों से करवाया गया था। जामा-,मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।

12. बड़ा इमामबाड़ा (Bada Imambara) :-

बड़ा इमामबाड़ा उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी ‘लखनऊ’ शहर में स्थित है, बड़ा इमामबाड़ा एक ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, इमाम बाड़ा निर्माण आसफ़उद्दौला के द्वारा सन् 1784 ई0 में मरहूम हुसैन अली की शहादत की याद में कराया गया था।

13. बीबी का मकबरा (Bibi ka Maqbara) :-

बीबी का मकबरा महाराष्ट्र के ‘औरंगाबाद’ शहर में स्थित है, बीबी के मक़बरे का निर्माण मुगल बादशाह आजम शाह के द्वारा अपनी माँ दिलराज बानू बेगम की याद में कराया गया था। इस मक़बरे को दक्षिण का ताज के नाम से भी जाना जाता है। बीबी के मक़बरे का डिज़ाइन को अताउल्लाह के द्वारा तैयार किया गया था।

14. जूनागढ़ किला (Junagarh Qila) :-

जूनागढ़ किला देखने मे बहुत ही अधिक भव्य और खूबसूरत है, यह किला राजस्थान राज्य के ‘बीकानेर’ जिले में स्थित है। इस किले के अंदर प्रवेश करने के लिए सात द्वार मौजूद है।

जूनागढ़ के किले का निर्माण राजा जयसिंह के द्वारा करवाया गया था तथा इसी किले के चारो तरफ बीकानेर शहर बसा हुआ है। इस किले में भगवान लक्ष्मी नारायण तथा भगवान श्री कृष्ण के दो शाही मन्दिर भी स्थित है।

15. विजय स्तम्भ (Vijaya Stambh) :-

विजय स्तम्भ स्थापत्य कला का एक बहुत ही सुंदर एवं बारीक कारीगरी का नमूना है, यह 120 फ़ीट ऊंचा और नौ मंजिल की इमारत है, विजय स्तम्भ राजस्थान राज्य के ‘चित्तौड़गढ़’ में स्थित है। इसका निर्माण मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने मालवा और गुजरात में महमूद खिलजी की सेनाओ पर विजय प्राप्त करने के बाद एक स्मारक के रूप में करवाया था।

16. गेटवे ऑफ इण्डिया (Gateway Of India) :-

गेटवे ऑफ इण्डिया भारत देश के मुंबई शहर के दक्षिण में समुद्र के किनारे स्थित है, गेटवे ऑफ इण्डिया को राजा जार्ज पंचम तथा रानी मैरी के भारत आगमन की याद में सन् 1911 ई0 में बनवाया गया था। यह गेट 26 मीटर ऊंचा है, इसकी डिज़ाइन को जार्ज विंटैन्ट के द्वारा तैयार किया गया था।

17. दिलवाड़ा का जैन मंदिर (Dilwara Jain temple) :-

दिलवाड़ा का जैन मंदिर राजस्थान राज्य के माउंट आबू में स्थित है यह पांच मंदिरो का एक समूह है। जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित इस मंदिर का निर्माण ‘विमल शाह’ नाम के शासक के द्वारा कराया गया था। इस मंदिर के स्तम्भो पर नृत्यांगनाओ की आकृतियां मन्दिर निर्माण की एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

18. एतमातुद्दौला का मकबरा (Tomb of Ettamadawalla) :-

‘एतमातुद्दौला का मकबरा’ का निर्माण जहाँगीर के दरबार के मंत्री मिर्जा ग्यास बेग की याद में नूरजहाँ के द्वारा करवाया गया था। मिर्जा ग्यास बेग को एतमातुद्दौला की उपाधि प्राप्त थी जिसके कारण इस मक़बरे का नाम एतमातुद्दौला का मकबरा रखा गया। दोस्तों आपको बता दूँ की इस मक़बरे के निर्माण में स्थापत्य कला की पेट्रा ड्यूरा शैली का प्रयोग किया गया था।

19. कोर्णाक का सूर्य मंदिर (Konark Surya Temple) :-

कोर्णाक का सूर्य मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है तथा इसका निर्माण गंग वंश के शासक ‘राजा नृसिंहदेव’ के द्वारा करवाया गया था। इसका निर्माण भी लाल बलुआ पत्थरो तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरो से करवाया गया था जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। इस मंदिर की सबसे खासियत यह है कि इस मंदिर में सूर्य भगवान को रथ खींचते हुए अंकित किया गया है।

20. अजंता की गुफाएं (Ajanta Caves) :-

अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र औरंगाबाद में स्थित है, इसको 29 चट्टानों को काटकर बौद्ध धर्म से सम्बंधित चित्रकारी की गई है अर्थात ये गुफाएं बौद्ध धर्म की आस्था को अपने अंदर समाहित किये हुए है जोकि अपने आप मे शिल्पकारी का एक अनूठा नमूना है। सन 1983 ई0 में UNESCO के द्वारा इसको विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया था।

21. मोती मस्जिद (Moti Masjid) :-

मोती मस्जिद भारत के दिल्ली शहर में स्थित लाल किला के अंदरस्थित है, मोती मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह ‘औरंगजेब’ के द्वारा ही करवाया गया था।

22. जंतर मंतर (Jantar Mantar) :-

वेधशाला के अनूठे गुणों को अपने अंदर समाहित किये हुए इस स्मारक का निर्माण सन 1724 ई0 में जयपुर के शासक ‘महाराजा जयसिंह’ के द्वारा करवाया गया था। इसी तरह के कई अन्य वेधशालाओं का निर्माण भारत के अन्य राज्यो में भी किया गया है जिसमे मथुरा, वाराणसी तथा उज्जैन आदि प्रमुख है।

23. कमल मंदिर (Lotus temple) :-

लोटस मंदिर एक अनूठा मन्दिर है, भारत का यह अनूठा मंदिर दिल्ली के नेहरू प्लेस के पास ही स्थित है। इस मंदिर को एक अन्य नाम ‘लोटस टेम्पल’ के नाम से भी जाना जाता है।

24 . मैसूर पैलेस (Maisoor Palace) :-

मैसूर प्लेस एक प्रसिद्ध तथा ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है, इसका निर्माण पहले चंदन की लकड़ियों से किया गया था परंतु एक दुर्घटना में इस महल को बहुत ही अधिक क्षति हुई थी। इसके बाद बाद इस महल की मरम्मत कराई गई जहाँ आज एक संग्रहालय उपस्थित है, यह द्रविड़ पूर्वी तथा रोमन स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।

25. खजुराहो के मंदिर (Khajuraho temple) :-

खजुराहो मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए पूरी दुनिया मे प्रसिद्ध है, यह मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित देश का सर्वोत्कृष्ट मध्यकालीन इमारत है। मंदिरों का यह शहर सम्पूर्ण विश्व मे मुड़े हुए पत्थरो से निर्मित मंदिरो के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।

26. सोमनाथ मंदिर (Somnath temple) :-

प्राचीन हिन्दू मंदिरो में से एक सोमनाथ मंदिर की गिनती 13 ज्योतिर्लिंगो में से सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है। इस हिन्दू मंदिर का निर्माण गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के ‘वेरावल’ शहर में समुन्द्र के किनारे किया गया है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान चंद्रमा ने किया था परन्तु वर्तमान समय मे बना सोमनाथ मंदिर देश की आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा बनवाया गया था।

27. एलोरा की गुफाएं (Ellora Caves) :-

एलोरा यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है, एलोरा की गुफाएं बौद्ध तथा जैन से सम्बंधित गुफा में बने मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है। एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के ‘औरंगाबाद’ शहर में स्थित है जिसका निर्माण राष्ट्रकूट वंश के शासकों के द्वारा करवाया गया था। इन गुफाओं का निर्माण दुर्गम पहाड़ियों की खड़ी चट्टानों को काटकर किया गया है जो कि पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का एक अनूठा संगम है।

28. सफदरजंग का मकबरा (Safdarjung Maqbara) :-

सफदरजंग का मकबरा भारत देश की राजधानी’ दिल्ली’ में स्थित है। इसका निर्माण नवाब शुजाउद्दौला ने मुगल सम्राट की अनुमति के बाद सन् 1754 ई0 में करवाया था। इस मक़बरे में सफदरजंग के साथ-साथ उनकी बेगम की कब्र है जो कि मुगल वास्तु कला का एक उत्कृष्ट नमूना पेश करती है।

29. लालगढ़ महल (Lalgarh Mahal) :-

लालगढ़ महल, भारत देश के राजस्थान राज्य के ‘बिकानेर’ जिले में स्थित है, लालगढ़ महल बहुत ही बड़ा है तथा इसमें सौ से ज्यादा कमरे है। इस महल का निर्माण ‘महाराजा गंगा सिंह’ के द्वारा अपने पिता ‘महाराजा लालसिंह’ की याद में करवाया था।

लालगढ़ महल पूरा का पूरा लाल पत्थरों से ही बना हुआ है जिस पर खुदाई का कार्य बड़े ही उत्कृष्ट तरीके से कर के महल की दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्रकारी की गई है।

30. छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (Chatrapati Shivaji temple) :-

छत्रपति शिवाजी टर्मिनल UNESCO के द्वारा सूचीबद्ध किए गए भारत के 32 विश्व धरोहर स्थलों में से एक है, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल भारत देश के मुम्बई शहर में स्थित है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल का निर्माण ‘रानी विक्टोरिया’ के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में सन 1887 ई0 में कराया गया था।

Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-

Qus 1:भारत के टॉप 30 एतिहासिक स्मारकों के नाम कुछ इस प्रकार से हैं?

Ans: ऐतिहासिक स्थल के नाम निम्न प्रकार से है-

  • ताज महल, आगरा
  • कुतुब मीनार, दिल्ली
  • जामा मस्जिद, दिल्ली
  • हवा महल, जयपुर
  • खजुराहो मंदिर, मध्य प्रदेश
  • लाल किला, दिल्ली इत्यादि।

Qus 2: भारत में कितने स्मारक है?

Ans: भारत में बहुत सारे ऐतिहासिक स्मारक मौजूद है जिनके नाम इस प्रकार से है-

  • ताज महल, आगरा
  • कुतुब मीनार, दिल्ली
  • जामा मस्जिद, दिल्ली
  • हवा महल, जयपुर
  • खजुराहो मंदिर, मध्य प्रदेश
  • लाल किला, दिल्ली इत्यादि।

Qus 3: भारत का प्राचीन उत्तम स्थल खंड कौन सा है?

Ans: भारत देश में बहुत सारी उत्तम खंड स्थल है जैसे दिल्ली का कुतुबमीनार, हुमायु तुंब एवं लालकिला हो या आगरा का ताजमहल, अंजता की प्राचीन गुफायें, इंडिया गेट इत्यादि भारत की ऐतिहासिक खंड स्थल में से एक हैं।

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आज हमने क्या सीखा :-

आज इस आर्टिकल में हमने भारत देश के प्रमुख स्मारकों (Monuments of India in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की, इस आर्टिकल में हमने ताज महल, लाल किला, इंडिया गेट, क़ुतुब मीनार तथा हवा महल इत्यादि जैसी भारत की प्रमुख स्मारकों के बारे में जानकारी प्राप्त की

दोस्तों अगर आपको हमारा यह आर्टिकल Monuments of India in Hindi अच्छा लगा हो तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें (धन्यवाद)

flood information in hindi|बाढ़ की जानकारी हिंदी में

By   December 20, 2021

बाढ़ क्या है कैसे उत्पन होता है इसका निदान क्या है What is a flood, how does it arise? आज के लेख में हम बाढ़ से संबंधित जानकारियों का वर्णन करने जा रहे हैं जब कभी भी बाढ़ की बात होती है तो मानव के अन्दर भय सा हो जाता है क्योकि बाढ़ के जरिये लोगो को बहुत हानि होती है इसी से सम्बंधित लेख को flood information in hindi द्वारा समझने का प्रयास करते है तो चलिए शुरु करते है

बाढ़ क्या है what is flood

एक निश्चित स्थान पर  अस्थायी से  पानियों का इकट्ठा होना बाढ़ कहलाता है जिससे जनजीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसमें बड़ी बड़ी इमारते पानी में बह जाता है बाढ़ के जरिये बीमारिया का फैलने का डर होता है इसमें फसलों और खाद्यान्न पूर्ति पर भी प्रभाव पड़ता है इसमें जल निकासीअच्छी तरह से नही हो पाता है

बाढ़ के प्रकार types of floods

कम समय तक रहने वाली बाढ़

कुछ बाढ़ ऐसे होते हैं जो बहुत कम समय तक एक  स्थान तक रुके रहते हैं  जब कभी अचानक पानी का स्तर बढ़ जाता है तब इस प्रकार की संभावना बनती है

एक निश्चित समय तक रहने वाले बाढ़

ऐसे बाढ़ जो एक निश्चित समय के बाद बाढ़ में कमी आने लगती है इसमें एक नियत समय तक बाढ़ के पानी रहती है

अधिक समय तक रहने वाली बाढ़

इस तरह के बाद एक लंबे समय तक रहने वाले बड़े होते हैं इस बार के अंतर्गत सबसे ज्यादा आम जनमानस की समस्याएं उत्पन्न होती है इस बाढ़ में लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पलायन होना पड़ता है

बाढ़ का कारण क्या है what is the reason for the flood

बाढ़ को मूल रूप से प्राकृतिक आपदा समझा जाता  है लेकिन आज के समय में मानव द्वारा भी कुछ ऐसा कार्य किया जा रहा है जिससे कि बाढ़ आने की संभावना बढ़ती जा रही है इन्हीं सब कारणों को इस लेख में विस्तार से वर्णन करते हैं बाढ़ आने की कुछ निम्नलिखित कारण है जैसे

1 बादल फटना
2 वनों की कटाई
3 बांध एवं तट बंधुओं का टूटना
4 भूकंप से बाढ़
5 बर्फ का पिघलना
6 ग्लोबल वार्मिंग
7 चक्रवाती तूफान का आना
8 बांधों का सही मरम्मत ना होना

बादल फटना

इस स्थति में बहुत कम समय में अधिक बारिस हो जाती है कभी कभी ओले भी गिर जाते है तूफान आने की संभावना होती है यह उससमय उत्पन होता है जब 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से बारिश होती है इसमें कुछ ही मिनटों में बाढ़ की स्थिति हो जाती है.

वनों की कटाई

वनों की कटाई बाढ़ को लाने में एक अहम् भूमिका निभाता है क्योकि आजकल जिस प्रकार से इसकी कटाई हो रही वैसे वैसे बाढ़ की संभावना बढती जा रही है क्योकि जब नदियों का जल स्तरबढ़ता है पेड़ इसकी पानी को रोकने में सहायक होता है

बांध एवं तट बंधुओं का टूटना

ऊपर से आने वाले पानी का बहाव ज्यादा होता इसलिए क्योकि इनसे विधुत का निर्माण होता है जब कभी पानी ज्यादा हो जाता है और बाढ़ कमजोर पड़ जाता और टूट जाता है तब आस पास में रहने वाले लोगो में समस्या होती है

भूकंप से बाढ़

भूकंप से भी बाढ़ आने की संभावना होती लेकिन इस प्रकार का बाढ़ बहुत कम देखा जाता है यह उससमय उत्पन होता है जब पृथ्वी ज्यादा हिलती है

बर्फ का पिघलना

अधिकतर पहाड़ बर्फ से ढंके होते है जब तापमान बढ़ता है तो बर्फो की गलन शुरु हप जाती है जब अचानक तापमान में परिवर्तन होता है तो पानी का मात्रा बढ़ जाता जो बाढ़ का रूप ले लेता है

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान बढ़ने की संभावना बढ़ जाता है जिससे भारी मात्रा में बारिस होती वायुमंडल के तापमान में वृद्धि होना भी बाढ़ का रूप ले लेता है

चक्रवाती तूफान का आना

चक्रवाती तूफान भी बाढ़ का रूप ले लेता है इसमें समुन्द्र में काफी हलचल होती है जिससे पास में रहने वाले लोग एक स्थान से दूसरे जगह पलायन करते है जिनसे इनका कोई छति ना हो

बांधों का सही मरम्मत ना होना

बाधो का सही तरीके व् समय से देखभाल ना होना भी बाढ़ उत्पन करता इसमें लापरवाही होती है बांध टूटने का यही कारन है छोटी छोटी कमियों का ध्यान ना देना

बाढ़ का प्रभाव

  • बाढ़ से जनजीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है
  • बाहर जाने से बिजली की समस्या बढ़ जाती है
  • इसमें आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है जैसे मकान का गिरना
  • पेड़ पौधों का नुकसान
  • लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में समस्याएं होती है
  • मिट्टी की संरचनाओं में भी परिवर्तन देखा जाता है क्योंकि वहां की उपजाऊ मिट्टी  दूसरे जगह चली जाती है

बाढ़ को कैसे कम किया जा सकता है

  1. सबसे पहले नदियों के आसपास की वनों  की कटाई को रोकने चाहिए
  2. छोटे-छोटे नहरों की निर्माण करवाना चाहिए
  3. नदियों के ऊपर जलाशय का निर्माण करवाना चाहिए
  4. नदियों के आसपास की आबादी में रोक लगानी चाहिए

सम्बंधित प्रश्न

 Q बाढ़ क्या है in Hindi?

प्राकृतिक आपदा है

 Q बाढ़ आने के क्या कारण है?

बारिश, बादल का फटना, बांध का टूटना, सुनामी वह भूकंप आना तथा पहाड़ी क्षेत्रों में असामान्य बारिश हो जाना

 Q बाढ़ आने से क्या नुकसान होता है?

पेयजल की कमी, बिजली की आपूर्ति में व्यवधान, आय की हानि के कारण लोगों की क्रय शक्ति में कमी, बुनियादी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि

 Q बाढ़ आने पर क्या करना चाहिए?

बिजली का मैन स्विच बन्द कर देनी चाइये

 Q बाढ़ क्या है in English?

flood

 Q बाढ़ को कैसे रोका जाता है?

पेड़ लगाके बाध का निर्माण कराकर आदि

हमने क्या सिखा

आज के इस लेख में हम सभी ने बाढ़ से संबंधित जानकारियां जैसे बाढ़ क्या है बाढ़ के कारण क्या है इसके निदान क्या है इस लेख में  विस्तार से समझाने का प्रयास किया है इसमें किसी प्रकार की कोई कमी रह गई हो तो आप हमें कमेंट सेक्शन द्वारा सूचित कर सकते हैं जिसे हम उसमें अपडेट करेंगे

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गणेश चतुर्थी से सम्बंधित जानकारी | Ganesh Chaturthi Information in Hindi

By   December 19, 2021

Ganesh Chaturthi Information in Hindi, Information About Ganesh Chaturthi in Hindi, गणेश चतुर्थी उत्सव क्यों मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी का इतिहास, गणेश चतुर्थी पर निबंध, गणेश चतुर्थी से सम्बंधित 10 लाइने, गणेश भगवान के 12 नाम

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम गणेश चतुर्थी से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त करने वाले है, अगर आप ‘Ganesh Chaturthi Information in Hindi’ या गणेश चतुर्थी से सम्बंधित जानकारी के लिए यहाँ पर आये है तो आप सही जगह आये है आपको यहाँ पर गणेश चतुर्थी से सम्बंधित बहुत सारी जानकारियां मिलने वाली है बस आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Ganesh Chaturthi Information in Hindi :-

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है, गणेश चतुर्थी त्योहार को भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में इसको बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन को ही भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था, गणेश चतुर्थी के दिन हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।

भारत देश के बहुत से भागो में भगवान श्री गणेश जी की बड़ी प्रतिमा भी स्थापित की जाती है तथा प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है और बड़ी संख्या में आस पास के लोग यहाँ पर दर्शन करने के लिए आते है नौ दिन बाद नांच और गानो के साथ गणेश जी की प्रतिमा को नहर, नदी इत्यादि जगहों विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है (Ganesh Chaturthi Information) :-

गणेश चतुर्थी उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी दिवस से चतुर्दशी दिवस तक मनाया जाता है, गणेश उत्सव का आयोजन प्राचीन काल में भी होता था जिसके प्रमाण हमे सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के काल में मिलते है, मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश उत्सव को राष्ट्रधर्म और संस्कृति से जोड़कर एक नई संस्कृति की शुरुआत करी थी।

दोस्तों श्री गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी उत्सव का आयोजन प्राचीन काल में भी होता था जिसके प्रमाण हमे सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के काल से मिलते है। मराठा शासकों ने श्री गणेश उत्सव के इसी क्रम को जारी रखा और पेशाओं के समय भी गणेश उत्सव इसी तरह जारी रहा, श्री गणेशजी पेशवाओं के कुलदेवता थे इसी कारण गणेशजी को ‘राष्ट्रदेव’ का दर्जा प्राप्त हो गया था, ब्रिटिश शासन काल मे गणेश उत्सव का त्योहार सिर्फ हिन्दू घरों तक ही सिमटकर रह गया था।

गणेश चतुर्थी का इतिहास (History of Ganesh Chaturthi in Hindi) :-

दोस्तों गणेश चतुर्थी उत्सव का आयोजन प्राचीन काल में भी होता था जिसके प्रमाण हमे सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के काल से मिलते है, श्री गणेशजी पेशवाओं के कुलदेवता थे इसी कारण गणेशजी को ‘राष्ट्रदेव’ का दर्जा प्राप्त हो गया था, ब्रिटिश शासन काल मे गणेश उत्सव का त्योहार सिर्फ हिन्दू घरों तक ही सिमटकर रह गया था।

सन 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजो ने घबराकर सन 1894 में एक बहुत कठोर कानून बना दिया था जिसे हम धारा 144 के नाम से जानते है, धारा 144 आजादी के बाद से अब तक उसी स्वरुप में आज भी लागु है, यह एक ऐसा कानून था कि किसी भी स्थान पर 5 भारतीय से अधिक आदमी इकठ्ठा नही हो सकते थे अर्थात भारतीय समूह बनाकर कोई कार्य या प्रदर्शन नही कर सकते थे और यदि कोई ब्रिटिश अधिकारी भारतियों को इकठ्ठा देख लेता तो उसके लिए बहुत ही कड़ी सजा दी जाती थी कि जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते थे यदि भारतीय लोग समूह बनाये थे तो उनको कोड़े से मारा जाता था और उनके हाथो से नाखुनो को खींच लिया जाता था।

भारतीय लोगों के मन से अंगेजो के प्रति इस व्याप्त भय को ख़त्म करने तथा इस कानून का विरोध करने के लिए ‘लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक’ ने गणेश उत्सव की पुनः शुरुआत करी तथा इसकी शुरुआत पुणे के ‘शनिवारवाडा’ में गणेश उत्सव के आयोजन से हुई।

पहले लोग गणेश उत्सव का पर्व अपने घरो में मनाया करते थे परन्तु सन1894 के बाद से इस उत्सव को सामूहिक तौर पर मनाया जाने लगा, पुणे के शनिवारवाडा में हजारो लोगो की भीड़ एकात्रित हुयी तथा लोक मान्य तिलक जी ने अंग्रेजो को चेतावनी दी कि अंग्रेज पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए क्यूंकि उस समय यह कानून था कि अंग्रेज पुलिस सिर्फ राजनैतिक समारोह में उमड़ी भीड़ को ही गिरफतार कर सकती है धार्मिक समारोह में उमड़ी भीड़ को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

सन 1894 में 20 से 30 अक्टूबर यानी पुरे 10 दिन तक तक पुणे के शनिवारवाडा में गणपति उत्सव मनाया गया, हर दिन लोकमान्य तिलक वहाँ भाषण के लिए किसी बड़े व्यक्ति को आमंत्रित किया करते थे, 20 तारीख को बंगाल के सबसे बड़े नेता ‘विपिनचन्द्र पाल’ तथा 21 तारीख को उत्तर भारत के ‘लाला लाजपत राय’ वहाँ आये थे इसी प्रकार वहाँ पर ‘चापेकर बंधू’ भी आये थे।

पुरे 10 दिनों तक वहां पर इन महान नेताओ के भाषण हुए और सभी भाषणों का मुख्य आधार यही होता था कि भारत को अंग्रेजो से आजाद कराए, गणपति जी हमें इतनी शक्ति दे कि हम स्वराज्य लाए।

अगले साल सन 1895 में पुणे में 11 गणपति स्थापित किए गए फिर अगले साल 31 तथा अगले साल यह संख्या 100 पार कर गई और इस प्रकार से यह संख्या हर साल बढ़ती, धीरे-धीरे पुणे के नजदीकी बड़े शहरो जैसे अहमदनगर, मुंबई, नागपुर आदि शहरों तक गणपति उत्सव फैल गया और प्रतिवर्ष गणपति उत्सव पर लाखो लोगो की भीड़ जमा होती थी तथा आमंत्रित नेता उनमें देश प्रेम के भाव जाग्रत करने का कार्य किया करते थे।

सन 1904 में लोकमान्य तिलक जी ने अपने भाषणों में लोगो से कहा था की गणपति उत्सव का मुख्य उद्देश्य आजादी हासिल करना है स्वराज्य हासिल करना है अपने देश से अंग्रेजो को भगाना है, बिना स्वराज्य के श्री गणपति उत्सव का कोई भी औचित्य नही है।

गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है :-

गणेश चतुर्थी का उत्सव भगवान ‘श्री गणेश’ के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी का त्यौहार यही कोई 11 दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है परन्तु इस उत्सव को पश्चिमी भारत में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है तथा वहां पर इसकी रौनक देखने ही वाली होती है, इस उत्सव को खासकर मुंबई शहर में जहाँ इस दौरान देश भर के लोगो का ही नहीं बल्कि विदेश तक के इसको देखने के लिए आते है।

गणेश भगवान के 12 नाम :-

गणेश भगवान के 12 नाम इस प्रकार से है-

  1. गजानन
  2. एकदंत
  3. लंबोदर
  4. विकट
  5. सुमुख
  6. कपिल
  7. गणाध्यक्ष
  8. भालचन्द्र
  9. गजकर्ण
  10. विघ्नविनाशक
  11. विनायक
  12. धूमकेतू

गणेश चतुर्थी पर निबंध (Ganesh Chaturthi Par Nibandh) :-

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म में मनाया जानें वाला एक प्रमुख उत्सव है, गणेश चतुर्थी का उत्सव अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त-सितंबर के महीनें में मनाया जाता है। गणेश उत्सव 11 दिनों तक चलने वाला एक बहुत ही लम्बा उत्सव होता है, गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने-अपने घरों में गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लेकर आते हैं और 10 दिन तक गणेश जी की उस मूर्ति का पूजन करते है, पूजा करने के बाद 11वें दिन गणेश जी की मूर्ति को नहर, नदी इत्यादि जैसी पवित्र जगह पर विसर्जित कर देते हैं।

गणेश चतुर्थी का उत्सव देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है लेकिन इस उत्सव को मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। लोग गणेश जी की मूर्ति को बड़ी धूमधामके साथ तथा ढोल-नगाड़े बजाकर अपने घर लेकर आते हैं, गणेश उत्सव के दिनों में मंदिरों में खूब साज-सजावट की जाती है तथा कोई भी नया काम शुरू करने से पहले श्री गणेश भगवान को सबसे पहले याद किया जाता है। गणेश जी को बच्चे प्यार से गणेशा नाम से भी बुलाते हैं।

गणेश चतुर्थी से लेकर आने वाले 10 दिनों तक भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है लोगों के द्वारा भक्ति गीत गाए जाते हैं, मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है तथा अलग अलग प्रकार के पकवान बनते हैं और मंदिरों पर भंडारे का आयोजन भी कराया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन बाजारों में बहुत ही अधिक भीड़-भाड़ रहती है तथा इस दिन बाजार में श्री गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ और उनके फोटोज बिकते हैं। मिट्टी से बनाई गईं श्री गणेश जी की मूर्तियाँ बहुत ही भव्य लगती हैं। सभी लोग गणेश भगवान जी की मूर्ति को अपने-अपने घरों तथा मंदिरों में उचित स्थान पर स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

गणेश उत्सव के 10 दिन पूरे होने के बाद 11वें दिन गणेश विसर्जन की तैयारी बहुत ही धूमधाम के साथ की जाती है, गणेश विर्सजन के लिए लोग सुंदर रथ या वाहनों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और गणेश भगवान जी की आरती की जाती है और उनकी मूर्ति को रथ में बिठाया जाता है।

इसके बाद फिर पूरे शहर में बहुत ही धूम-धाम के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है और गणेश शोभायात्रा में लोग गुलाल उड़ाते हैं, पटाखे जलाते हैं, गणपत्ति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरिया के नारे लगाये जाते हैं, आज कल लोग डीजे बजाते है तथा नाचते-कूदते हुए गणेश जी की मूर्ति को किसी पवित्र जल धारा में जैसे नहर, नदी या समुंदर में प्रतिमा को विसर्जित कर देते है।

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइनें :-

  1. गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से हिंदूओं का उत्सव है।
  2. गणेश चतुर्थी का उत्सव श्री गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
  3. गणेश चतुर्थी उत्सव 11 दिन तक चलने वाला एक विशाल महोत्सव होता है।
  4. गणेश चतुर्थी का उत्सव, भाद्र माह (अगस्त-सितंबर) में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं।
  5. गणेश चतुर्थी उत्सव को महाराष्ट्र शहर में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
  6. गणेश चतुर्थी उत्सव में लोग अपने घरों तथा मंदिरों में गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करते हैं।
  7. भगवान श्री गणेश जी के पूजन में लाल चंदन, कपूर, नारियल, गुड़ और उनका प्रिय मोदक होता है।
  8. लोग रोजाना मंत्रों का उच्चारण करते हैं तथा गीत और आरती गाकर श्री गणेश भगवान की पूजा करते हैं।
  9. 10 दिन पुरे हो जाने बाद 11वें दिन गणेश जी की प्रतिमा को पवित्र जल की धारा में विसर्जित कर दिया जाता है।
  10. बड़े-बड़े स्टार भी श्री गणेश उत्सव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति की पूजा करते हैं।

Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-

Qus 1: गणेश उत्सव कब शुरू हुआ?

Ans: गणपति उत्सव की शुरुआत सन 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की। 1893 के पहले भी गणपति उत्सव बनाया जाता था पर वह सिर्फ घरों तक ही सीमित था।

Qus 2: गणेश जी की स्थापना क्यों की जाती है?

Ans: गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप लगाया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की थी तथा इन दस दिनों में वेदव्यास ने श्री गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए तभी से गणपति स्थापना की प्रथा चल पड़ी और इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न प्रकार के भोजन अर्पित किए जाते हैं।

Qus 3: गणेश चतुर्थी का त्योहार कितने दिनों के लिए मनाया जाता है?

Ans: गणेश उत्सव पर्व को 10 दिनों तक बहुत ही धूम-धाम के मनाया जाता है, इस उत्सव को गणेशोत्सव तथा विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

Qus 4: क्यों गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है?

Ans: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी तथा जब वेद व्यास जी ने 10 दिन बाद अपनी आंखें खोली तो देखा कि गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था और तभी से गणेश उसत्व 10 दिन तक धूम-धाम के साथ मनाया जाने लगा।

आज आपने क्या सीखा :-

आज इस आर्टिकल में हम गणेश चतुर्थी पर्व के बारे में जानकारी प्राप्त की, इस आर्टिकल में हमने Ganesh Chaturthi Information in Hindi, गणेश चतुर्थी उत्सव क्यों मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी का इतिहास, गणेश चतुर्थी पर निबंध, गणेश चतुर्थी से सम्बंधित 10 लाइनें इत्याद तथा इसके अलावा इससे सम्बंधित और भी बहुत सारी जानकारियां प्राप्त की।

दोस्तों अगर आपको हमारा यह आर्टिकल “Ganesh Chaturthi Infomaton in Hindi” पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें (धन्यवाद)

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Peacock information in hindi | मोर की जानकारी हिंदी में

By   December 18, 2021

मोर पक्षी की लंबाई रंग पंख खूबसूरती इसके भोजन आदि की सभी जानकारी हिंदी में |  Length of peacock bird, color, feathers, beauty, its food, etc. All information in Hindi 

आज के इस लेख में हम मोर से संबंधित जानकारियों का वर्णन करने वाले हैं आपको यह लेख मोर के संबंध में सही जानकारी देने के लिए लिखा जा रहा है इसके द्वारा आप चाहे तो मोर पक्षी के बारे में निबंध लिख सकते हैं या इसे पढ़कर मोर की जो भी जानकारी होती है उसको बहुत सटीक व स्पष्ट तरीके से Peacock information in hindi द्वारा समझाने का प्रयास किया गया है मोर की पहचान एक राष्ट्रीय स्तर पर होता है क्योंकि  ये एक ऐसे पंछी हैं जिनको कई देशों ने राष्ट्रपक्षी के रूप में घोषित कर चुके हैं अंग्रेजी भाषा में इसे ‘पीकॉक’ के नाम से जानते हैं तो चलिए शुरू करते हैं

मोर के बारे में रोचक जानकारी |  Interesting facts about Peacock

मोर को मयूर पक्षी के नाम से भी जानते हैं इनको एशिया महाद्वीप के दक्षिणी एवं पूर्वी दक्षिणी हिस्सों में पाया जाता है हमेशा खुले स्थान पर रहना पसंद करते हैं ये अन्य पंछियों की तरह जंगलों में रहना पसंद नहीं पड़ता है मोर का जो पंख होता है

लगभग सभी व्यक्तियों को प्यारा लगता है इसका मुख्य कारण है कि जिस भी व्यक्ति के हाथों में इसका पंख पड़ता है व्यक्ति अपने आप में बहुत खुशी महसूस करता है यदि आपको इनका नृत्य देखना है तो आप बसंत के मौसम में देख सकते हैं

इनका जो नृत्य करने का कला होता है सबको मोह लेता है बरसात के मौसम में जब भी अपने पंखों को फैलाकर डांस करते हैं तो इनके जो पंख होते हैं एक अलग प्रकार का सौंदर्य को प्रस्तुत करने का काम करते हैं जो देखने वाले हो बहुत ही अच्छा लगता है

मोर का सामान्य परिचय General Introduction to Peacocks

चलिए तो सबसे पहले इसके सामान्य जानकारी की चर्चा कर लेते है

वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेट्स
नर मोर
मादा मोरनी
उम्र 24-30
लम्बाई 3.5 मीटर
वजन 5 kg
राष्ट्रीय पक्षी भारत ,श्रीलंका,म्यांमार

भारत का राष्ट्रीय पक्षी National Bird of India

जब किसी पक्षी को किसी देश की राष्ट्रीय पक्षी के रूप में घोषित किया जाता है तो उसके अंदर कुछ विशेष गुण  होंगे जिसके कारण उसको इतनी बड़ी उपाधि प्रदान किया जाता है यानी कि भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के अंदर वह सभी गुण मौजूद हैव

जो लोगों को एक नई दिशा देने में सहायक हो मोर एक ऐसा पक्षी है जो भारतीय संस्कृति की  शोभा बढ़ाने का कार्य करते हैं इसका रंग रूप आकार वेशभूषा आदि सभी चीजें लोगों को अपने तरफ आकर्षित करती हैं

भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी के रूप में घोषित किया था मोर भारत की राष्ट्रीय पक्षी के साथ साथ श्रीलंका  व म्यांमार का भी  राष्ट्रीय पक्षी है

मोर को भारतीय संस्कृति से संबंध peacock’s relation to indian culture

मोर को हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है इसको खाना समाज में पाप समझा जाता  है क्योंकि मोर हमेशा से लोगों को देखने में आकर्षण का केंद्र रहे हैं भगवान श्री कृष्ण से भी मोरो से गहरा संबंध रहा है इसलिए जब भी वे मुकुट धारण करते थे तो उनके मुकुट में मोर का पंख लगा होता था, कालीदास ने भी मोर का महत्व मेघदूत में दर्शाया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय पक्षी से भी ऊंचा स्थान देने का काम किया है

राजाओ का मोर से सम्बन्ध relation of kings with peacock

मोर का राजाओं से बहुत गहरा संबंध रहा है क्योंकि राजा अपनी पसंद के अनुसार मोर की चित्र को अपने राजमहल में रखा करते थे सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल में जो सिक्के होते थे उनके एक साइड में मोर का ही चिन्न होते थे

मुगल बादशाह शाहजहाँ का सिंघासन मोर की आकर का था पहले क्व राजाओ में संधि जो होती थी उसमे भी मोर के चित्र हुआ करते थे

मोर की संरचना structure of peacock

मोर के लम्बाई की बात करे तो देखगे की नर की लम्बाई लगभग 215 cm व उच्चाई 50 cm होती है इनमे अन्य पक्षियों की तरह पहचानने में दिक्कत नही होती है क्योकि इनकी मुख्य पहचान कलंगी से होती है नर की सिर में बड़ी कलंगी व मादा में छोटी कलंगी होती है इनमे पंखो की संख्या 150 होती है

बसंत में मोरो का नृत्य peacock dance in the spring

बारिस के मौसम में इनके द्वारा जो नृत्य किया जाता वह वास्तव में इनकी एक पड़ी प्रतिभा होती है जिसके जरिये लोग इनको पसंद करते है ये नीलेरंग के होते है इनकी उम्र ३०तक होती है इनके पंख अगस्त में गिरते व मई में आने शुरु हो जाते है

मोर की आवाज peacock’s voice

मोर की आवाज थोड़ी कर्कस होती है लेकिन फिर भी सुनने अच्छी होती इनकी आवाज कुछ दुरी तक सुनाई देती है जब ये एक बार आवाज निकाल देते है तो वह कुछ समय तक गुजती रहती है इनमे  उड़ने  की भी कला होती है लेकिन ये अधिकतर दौड़ना पसंद करते है

राष्ट्रीय पक्षी मोर पर 10 लाइन 10 line on national bird peacock

  • मोर के दौड़ने की रफ्तार लगभग 16 किलोमीटर/घंटे की होती है
  • इसकी उम्र 24 से 30  वर्ष तक होती है
  • मोर नीले रंग में पाया जाता है
  • अगस्त के माह में मोर के सभी पंख झड़ जाते हैं
  • कई देशो के राष्ट्रीय पक्षी है
  • इनके सुनहरा चमकीले होते है
  • इनका भोजन अनाज और कीड़े होते है
  • मोरनी प्रतेक वर्ष 2 बार अंडे देती है
  • इनको भारत के अलावा नेपाल, भूटान श्रीलंका ,पाकिस्तान, म्यामार देशों में भी पाया जाता है।
  • किसी भी शुभ कामो में इनके पंखो की सजावट की जाती है जैसे शादी

देवी देवताओ से सम्बन्ध relationship with gods

मोर को एक दैवीय पक्षी भी मन जाता है क्योकि इनका सम्बन्ध देवताओ से रहा है मान्यता है की मोर गरुड़ के पंख से उत्पति हुआ था जो भगवान विष्णु के लिए पर्वतो का काम करता है कुछ लोग मोर का संबंध देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती से मानते है

FAQ

 Q मोर के पंख कब झड़ते हैं?

Ans अगस्त के महीने में

Q मोर का जीवनकाल कितना होता है?

Ans 25-30  वर्ष

Q मोर कैसे आवाज निकालता है?

Ansकडवी

Q मोरनी को अंग्रेजी में क्या कहते है?

Ans फीमेल पीकॉक

हमने क्या सिखा what did we learn

आज की इस लेख Peacock information in hindi में हम सभी ने मोर से सम्बंधित सभी जानकारियों को पूर्ण रूप से अध्यन किया यदि हमारी द्वारा दी गयी जानकारी में किसी प्रकार का कोई टॉपिक छुट गया हो  तो आप हमें comment कर सकते है thanks

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लैब्राडोर डॉग से सम्बंधित जानकारियां | Labrador Dog Information in Hindi

By   December 17, 2021

Labrador Dog Information in Hindi, Information About Labrador Dog in Hindi, History of Labrador Dog, Labrador Dog की शारीरिक संरचना, लैब्राडोर डॉग का भोजन इत्यादि।

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम लैब्राडोर डॉग के बारे जानकारी प्राप्त करने वाले है, अगर आप लैब्राडोर डॉग से सम्बंधित जानकारी के लिए यहाँ पर आये है तो आप सही जगह आये है, आपको लैब्राडोर डॉग से सम्बंधित बहुत सारी जानकारियां मिलेंगी बस आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

नाम लैब्राडोर डॉग
स्वभाव चंचल, दयालु तथा स्पोर्टिंग
आहार पोषक तत्व वाले भोजन
लेब्राडोर की हाईट लगभग 55–62 सेंटीमीटर
वयस्क नर लेब्राडोर का वजन 29–36 किलोग्राम
मादा लेब्राडोरवजन का वजन 25–32 किलोग्राम
दौड़ने की रफ़्तार 20-30 किलोमीटर/घंटे

Labrador Dog Information in Hindi | लैब्राडोर डॉग से सम्बंधित जानकारियां :-

लेब्राडोर डॉग पुरे दुनिया भर में सबसे अधिक ज्यादा पसंद की जानें वाली कुत्तों नस्लों में से एक हैं, लेब्राडोर डॉग अपनी बुद्धिमानी तथा विशिष्ठ विशेषताओं के कारण लोगों के बीच ने बहुत ही लोकप्रिय हैं यही वजह है कि ज्यादातर लोग ‘लेब्राडोर डॉग’ को पालना पसंद करते हैं।

लेब्राडोर डॉग पालने योग्य एक बहुत ही अच्छी नस्ल के डॉग है, यें हर प्रारूपों में अपने आप को साबित करने की काबिलियत रखते हैं। लैब्राडोर डॉग पालने योग्य बहुत ही बेहतरीन नस्ल के डॉग है, यें पालतू कुत्ते के रूप में तथा सुरक्षा विभागों में जैसे आर्मी, पुलिस, सीआईडी इत्यादि में आपराधिक गतिविधियों का पता लगाने के लिए बहुत ही उपयोगी है, लैब्राडोर डॉग नस्ल के कुत्तों की सुघने की क्षमता बहुत ही अच्छी व संक्रिय होती है।

Labrador Dog अर्थात Labrador Retriever यूनाइटेड किंगडम के Retriever Gun Dog की एक नस्ल होती है, इनका विकास मुख्य रूप से कनाडा में मछलियों को पकड़ने वाले कुत्ते के रूप में हुआ है, क्योंकि शुरुआत में इस नस्ल के डॉग का इस्तेमाल वहां पर अक्सर मछलियों को पकड़ने के लिए किया जाता था।

लैब्राडोर डॉग का इतिहास (History of Labrador Dog) :-

विकिपीडिया के अनूसार लेब्राडोर नस्ल के डॉग की उत्पत्ति न्यूफाउंडलैंड से हुयी हैं, न्यूफाउंडलैंड कनाडा मैं उपस्थित हैं जिसे पहली बार सोलहवीं सताब्दी में मस्टिफ़ और सेंट जाँन डॉग के प्रजनन से पुर्तगाली मछवारों द्वारा खोजी की गई थी, शुरुआत में इसको सेंट जाॅन डॉग तथा न्यूफाउंडलैंड के नाम से जाना जाता था लेकिन जब इसे इंग्लैंड लाया गया तब वहाँ पर इसका नाम बदल कर लेब्राडोर रख दिया गया।

लैब्राडोर डॉग की शारीरीक संरचना (Body Structure of Labrador Dog ) :-

लेब्राडोर नस्ल के डॉग आकार में बड़े होते है, एक वयस्क नर लेब्राडोर का वजन लगभग 29–36 किलोग्राम तथा मादा लेब्राडोरवजन का 25–32 किलोग्राम होता है, लेब्राडोर की हाईट लगभग 55–62 सेंटीमीटर तक होती हैं तथा यें लगभग 20-30 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। लेब्राडोर डॉग के शरीर में उपस्थित बाल घने, छोटे तथा बहुत ही मुलायम होते है तथा लेब्राडोर डॉग बालो का कोट जल प्रतिरोधी होता है जोकि इनको इनको ठंड से बचाता है।

लेब्राडोर डॉग के पैर मोटे और भारी होते है तथा इनकी पूंछ पतली सीधी व मध्यम आकार की होती हैं, लेब्राडोर डॉग का सिर मध्यम आकार का तथा कान, गाल से चिपके हुए V आकार के होते हैं। इसके अलावा इनके नाक का रंग काला या फिर गुलाबी रंग का होता हैं।

लैब्राडोर डॉग का आहार (Labrador Dog Diet) :-

लेब्राडोर डॉग का भोजन उनके उम्र तथा आकार के आधार पर देना चाहिए यदि इनकी उम्र कम है तो इनको अधिक खनिज और पोषक तत्व वाले भोजन की आवश्यकता होती हैं, क्योकि इस समय इनका शरीर बढ़ रहा होता हैं तो इस समय इनको वयस्क कुत्तों के अपेक्षा अधिक खनिज और पोषक तत्वों वाले भोजन की जरुरत होती हैं तथा छोटे उम्र के लेब्राडोर को 2 से 3 बार भोजन देना चाहिए।

इसके अलावा एक व्यस्क लेब्राडोर डॉग का भोजन पोषक तत्वों से तो भरपूर होना चाहिए परन्तु भोजन में वसा की मात्रा ज्यादा नहीं होनी चाहिए क्योकि एक व्यस्क लेब्राडोर डॉग का शरीर पूर्ण रूप से विकसित हो चूका होता हैं तथा अधिक वसा वाला भोजन इसको और अधिक मोटा बना सकता हैं।

एक बुर्जुग और अधिक उम्र वाले लेब्राडोर डॉग का भोजन हल्का फुल्का ओर पौष्टिक होना चाहिए जिसको आसानी के साथ पचाया जा सके। जिसमे उच्च पोषक तत्व की मात्रा मौजूद हो तथा पाचन में सहायक हो तथा हड्डियों और माशपेशियों को फायदा पहुचाये।

लैब्राडोर रिट्रीवर का स्वभाव (Labrador retriever Nature) :-

लेब्राडोर रिट्रीवर दयालु, चंचल और स्पोर्टिंग प्रवृति के डॉग होते हैं इसके अलावा लेब्राडोर एक बहुत अच्छे खोजी कुत्ते भी होते हैं जिसकी मुख्य वजह इनकी सुघने की प्रतिभा होती हैं तथा लेब्राडोर कभी अपना मार्ग नही भूलते हैं।

लैब्राडोर घर की चीजो को काटना, चबाना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं परन्तु एक सही प्रशिक्षण के माध्यम से आप लेब्राडोर की यह आदत बदल सकते हैं। लैब्राडोर डॉग में सीखने की क्षमता अन्य नस्लो के कुत्तों की अपेक्षा बहुत अधिक होती हैं यही वजह है की इनको ट्रेनिंग देना तथा नई चीजें को सिखाना बहुत ही आसान और सरल होता है।

लैब्राडोर डॉग का स्वास्थ्य (Labrador dog health) :-

लेब्राडोर एक स्वस्थ्य नस्ल के कुत्ते होते हैं परन्तु अन्य नस्लो की तरह ही बीमारियों से बचानेके लिए इनको भी उचित देखभाल की आवश्यकता होती है ज्यादातर लैब्राडोर डॉग्स में मोटापे की समस्या ज्यादा ही देखने को मिलती है, इसके अलावा लेब्राडोर में कोहनी, कमर और कूल्हे को प्रभावित करने वाले डिसप्लेसिया शामिल होते है हालाँकि यह दिक्कत ज्यादातर अधिक वजन वाले लेब्राडोर डॉग्स में ही देखने को मिलती हैं।

लेब्राडोर डॉग्स में आँखों की समस्या जैसे कॉर्निया डिस्ट्रोफी तथा रेटिना डिसप्लेसिया होने की संभावना होती हैं जिसकी वजह से मोतियाबिंद या अंधेपन जैसी समस्या हो सकती हैं, इससे बचने के लिए नेत्र विशेषज्ञ द्वारा उचित उपचार बहुत ही आवश्यक होता है। इसके अलावा कुछ मामलो में लेब्राडोर डॉग्स को जन्म से ही बहरेपन से पीड़ित हो सकते है।

लैब्राडोर डॉग की पहचान (Labrador dog identification) :-

बहुत से लोग ऐसे होते है जिनको लेब्राडोर डॉग की पहचान के बारे में जानकारी नहीं होती है और वें अशुद्ध व मिक्स लेब्राडोर डॉग पाल लेते है और इस बात का अंदाजा उन्हें तब होता है जब इनकी उम्र बढ़ती है और उनमे शरीरिक परिवर्तन होते हैं तथा वें अन्य लेब्राडोर से बिल्कुल ही अलग दिखते हैं।

आईये जानते है कि एक ओरिजनल लेब्राडोर डॉग की पहचान क्या होती है तथा इनको कैसे पहचाने?

  • लेब्राडोर डॉग का रंग ब्लैक, चॉकलेट, येलो, व्हाइट इत्यादि होता है परन्तु किसी अन्य या मिक्स लेब्राडोर डॉग में इन रंगों के साथ अन्य रंग भी मौजूद हो सकते है।
  • लेब्राडोर की शुद्धता की पहचान करने का एक अन्य तरीका यह है कि एक शुद्ध लैब्राडोर डॉग के कान उनके गाल से चिपके हुए तथा सामने की ओर V आकार में होते हैं, एक लेब्राडोर डॉग लेते समय आप एक बार उसका कान जरूर चेक करें।
  • एक लेब्रेडोर डॉग की शुद्धता की पहचान आप उनकी पूछों के द्वारा भी कर सकते हैं, एक शुद्ध लेब्राडोर की पूछ हमेशा ही सीधी होती हैं परन्तु यदि किसी लेब्राडोर की पूंछ रिंग के आकार में मुड़ी हुई है तो यह उसके अशुद्ध लेब्राडोर होने के संकेत होते हैं।
  • एक लैब्राडोर डॉग के बॉल बहुत ही कोमल और मुलायम होते हैं, विशेषज्ञों के द्वारा इसके शुद्ध होने का यह भी एक प्रतीक माना जाता हैं, यदि आप कभी भी एक लेब्राडोर डॉग लेने जाओ तो उसके बालों की भी जांच अवश्य करें।
  • एक लेब्राडोर डॉग सेहतमंद और तंदरुस्त नस्ल के होते है तथा एक ओरिजनल लेब्राडोर के पैर भारी तथा मोटे होते है जिसकी वजह इनकी हड्डियां होती हैं , इनकी हड्डियां काफ़ी मोटी होती हैं, आप पैरो के द्वारा भी लेब्राडोर डॉग की शुद्धता की पुष्टी कर सकते हैं।

लैब्राडोर की खासियत (Characteristics of Labrador) :-

आईये दोस्तों अब लैब्राडोर डॉग की खासियत के बारे में जानकारी प्राप्त करते है, लैब्राडोर डॉग की जो भी खासियत होती है वो निम्न प्रकार से है-

  • लेब्राडोर डॉग हर मौसम और वातावरण में रहने के लिए अनुकूल होते हैं, आपको पता ही होगा कि भारत के हर क्षेत्र में मौसम का प्रभाव अलग-अलग होता हैं कही पर ठंड अधिक होती हैं तो कही पर गर्मी तथा कही पर वर्षा बहुत अधिक होती है, लैब्राडोर हर तरह के मौसम में अपने आप को उसके अनुरूप बना लेते है यही कारण है कि यह भारत देश में इस नस्ल के कुत्ते इतने लोकप्रिय है।
  • लेब्राडोर एक इंटेलीजेंट डॉग हैं तथा इस नस्ल के डॉग की सीखने की काबिलियत बहुत ही अच्छी होती हैं जिसके कारण आपको इनको ट्रेंड करने में ज्यादा दिक्कत नही होती है।
  • लेब्राडोर एक बड़ी नस्ल के डॉग है परंतु अन्य बड़े डॉग्स की तुलना में इनकी देखरेख और खान पान का खर्च अपेक्षाकृत कम होता हैं, यदि बात करें भोजन की तो अगर आप इनको विशेष प्रकार का भोजन न भी दें तब भी यें सामान्य घर का भोजनबहुत आसानी से खा लेते है।
  • लैब्राडोर डॉग्स के बाल छोटे होते हैं जिसकी वजह से इन्हें साफ करने में बहुत ही कम समय लगता है।
  • लेब्राडोर डॉग्स बड़े मिलनसार और शांत स्वभाव के होते है तथा इनको बच्चों से बहुत अधिक प्रेम होता हैं इसलिए यदि आपके घर में बच्चे है तो आपको डरने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है, यदि आप एक फैमिली डॉग की तलाश कर रहें है तो आपके लिए लेब्राडोर एक बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकता हैं।

Frequently Asked Questions (FAQ’s) :-

Qus 1: लैब्राडोर डॉग की कीमत क्या है?

Ans: हमारे भारत देश में एक लैब्राडोर डॉग के पिल्ले की कीमत 5000-6000 रुपये से शुरू होती है जोकि 1 लाख रुपये तक या इससे ऊपर भी जा सकती है।

Qus 2: लैब्राडोर को खाने में क्या देना चाहिए?

Ans: लैब्राडोर को खाने में सब्जियां ब्रोकली, बेबी कॉर्न, बीन्स और मटर में फाइबर आदि खिला सकते हो, इसके अलावा इनको पोषक तत्व वाले भोजन भी खिला सकते हैं।

Qus 3: लैब्राडोर कितना बड़ा होता है?.

Ans: एक वयस्क और स्वस्थ्य लेब्राडोर डॉग का वजन 29-36 किलोग्राम तथा ऊंचाई 55-62 सेंटीमीटर तक की होती हैं।

Qus 3: लैब्राडोर की उम्र कितनी होती है?

Ans: एक स्वस्थ्य लेब्राडोर डॉग की औसतन उम्र 12-14 वर्ष तक की होती हैं।

Qus 4: लैब्राडोर कितने दिन में बच्चे देती है?

Ans: एक मादा लेब्राडोर का गर्भ काल का समय 9 हफ्ते का होता हैं अर्थात एक मादा लैब्राडोर 9 हफ्तों के बाद ही पिल्लों को जन्म देती हैं।

Qus 5: लैब्राडोर कितने कलर के होते हैं?

Ans: लेब्राडोर मुख्यतः तीन कलर में पाए जाते हैं ब्लैक, चॉक्लेट तथा येलो परन्तु आज कल यें प्योर व्हाइट और ऑफ व्हाइट जैसे रंगो में भी देखने को मिल जाते हैं।

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आज आपने क्या सीखा :-

आज इस आर्टिकल में हमने ‘Labrador Dog’ से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त किया, इस आर्टिकल में हमने Labrador Dog Information in Hindi, Information About Labrador Dog in Hindi, History of Labrador Dog, Labrador Dog की शारीरिक संरचना, लैब्राडोर डॉग का भोजन तथा इसके अलावा लैब्राडोर डॉग से सम्बंधित और भी बहुत सारी जानकारियों को प्राप्त किया।

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